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विश्वास

प्रेक्षा डॉन गोधा ‘परी’
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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नहीं पकड़ूंगी पापा,
मैं आपका हाथ।
डरती हूँ छोड़ न दूँ,
मैं आपका साथ।

थामना आप ही मुझे सदा,
फिर हम न बिछड़ेंगे कदा।
आप पर अटल है विश्वास,
साथ रहेंगे जब तक है श्वांस।

सब कहते मैं माँ जैसी हूँ,
नहीं जानती मैं कैसी हुँ।
बढ़ाती रहूँ हमेशा आपका मान,
आपमें बसी है परी की जानll

परिचय-प्रेक्षा डॉन गोधा का निवास छत्तीसगढ़ स्थित जिला दुर्ग में है। साहित्यिक उपनाम-परी है। जन्म २००८ में ५ अगस्त को दुर्ग में ही हुआ है। दुर्ग में ही स्थाई रुप से बसी हुई परी को हिन्दी-अंग्रेजी भाषा आती है। फिलहाल यह कक्षा ५ में पढ़ रही है,इसलिए कार्यक्षेत्र-छात्रा और लेखन का है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त दोस्तों की मदद करने में आगे रहने वाली प्रेक्षा की लेखन विधा-गीत, कविता, एवं लेख है। प्रकाशन में इनकी पुस्तक आ चुकी है.तो रचनाएं भी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। काव्य पाठ का प्रमाण-पत्र और अंतरविद्यालयीन संस्कृत श्लोक स्पर्धा में प्रथम स्थान मिलना इनका प्रमुख सम्मान है। विशेष उपलब्धि जीवंत कविता पाठ करना है। परी की लेखनी का उद्देश्य-राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाना,सबसे कम आयु में अधिकाधिक पुरस्कार प्राप्त करना तथा हिंदी भाषा को बढ़ावा देना है। जीवन मे प्रेरणा पुंज-मम्मी है। विशेषज्ञता-कविता सर्जन में है।

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