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वो भी बच्चे हैं

प्रेक्षा डॉन गोधा ‘परी’
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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परी अपने नानी के घर गई थी। एक दिन परी नानी और मम्मी पापा के साथ मॉल घूमने गई,वहाँ उसने बहुत मस्ती की, खेल खेले,और खाने की कई चीजें भी खरीदी। बहुत देर खेलने के बाद जब वो मॉल से बाहर निकले तो कुछ छोटे बच्चे गुब्बारे बेच रहे थे। परी ने तो बोला कि उसे गुब्बारा नहीं चहिये,फिर भी मम्मी ने जबरन दो गुब्बारे परी और उसकी बहन के लिये खरीदे।
परी भ्रम में थी कि आज मम्मी इतनी मेहरबान कैसे हो गई। छोटी छोटी बात पर न बोलने वाली मम्मी आज न बोलने के बाद भी गुब्बारा कैसे ले रही है। परी अपनी मम्मी को आश्चर्य से देख रही थी।
मम्मी को उसकी मन की बात समझते देर न लगी। मम्मी ने परी को पास बुलाया और उसे कहा कि,आप उन बच्चों को देख रहे हो। हो सकता है कि इनमें से कोई बच्चा ऐसा भी हो,जिसके पापा- मम्मी न हो या हो भी तो उनके पास पैसे नहीं,तभी तो इन बच्चों को गुब्बारे बेचना पढ़ रहा है। मम्मी और परी बात कर ही रहे थे, तभी एक गंदे से कपड़े पहनी एक बच्ची आई। उस बच्ची को बाकी बच्चे पास जाने को न बोल रहे थे,मत जा डांटेंगे,लेकिन फिर भी वह बच्ची डरते हुए आई और परी की मम्मी से बोली-
क्या आप मुझे पानी दोगे! बहुत प्यास लगी है। जैसे ही बाकी बच्चों ने देखा कि उस बच्ची को डांट नहीं मिली,तो बाकी बच्चे भी आ गए पानी पीने।
मम्मी ने सबको प्यार से पानी दिया और जब परी ने मम्मी की तरफ देखा तो मम्मी ने मुस्कुरा कर कहा-वो भी तो बच्चे ही हैं।
और इस बार परी को एक नई बात सीखने मिली कि किसी की मदद हम कभी भी कर सकते हैं,और कई बार बेवजह भी कुछ चीजें खरीद लेना चाहिए।
परी ने मम्मी से पूछकर उसके पास रखे चॉकलेट,चिप्स के पैकेट दोनो बहनों ने मिलकर उन बच्चों को दे दिए। फिर दोनों ने मम्मी को कहा-हमें कल दिला देना,ये भी तो बच्चे ही हैं।

परिचय-प्रेक्षा डॉन गोधा का निवास छत्तीसगढ़ स्थित जिला दुर्ग में है। साहित्यिक उपनाम-परी है। जन्म २००८ में ५ अगस्त को दुर्ग में ही हुआ है। दुर्ग में ही स्थाई रुप से बसी हुई परी को हिन्दी-अंग्रेजी भाषा आती है। फिलहाल यह कक्षा ५ में पढ़ रही है,इसलिए कार्यक्षेत्र-छात्रा और लेखन का है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त दोस्तों की मदद करने में आगे रहने वाली प्रेक्षा की लेखन विधा-गीत, कविता, एवं लेख है। प्रकाशन में इनकी पुस्तक आ चुकी है.तो रचनाएं भी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। काव्य पाठ का प्रमाण-पत्र और अंतरविद्यालयीन संस्कृत श्लोक स्पर्धा में प्रथम स्थान मिलना इनका प्रमुख सम्मान है। विशेष उपलब्धि जीवंत कविता पाठ करना है। परी की लेखनी का उद्देश्य-राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाना,सबसे कम आयु में अधिकाधिक पुरस्कार प्राप्त करना तथा हिंदी भाषा को बढ़ावा देना है। जीवन मे प्रेरणा पुंज-मम्मी है। विशेषज्ञता-कविता सर्जन में है।

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