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शकुंतला ने कब दुष्यंत को छोड़ा था…

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’ 
इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)

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‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष…………………

शकुंतला ने कब दुष्यंत को छोड़ा था,
सीता ने कब राम को पथ में छोड़ा था।
यशोधरा की ग़लती मुझे बताओ तुम,
सहा उर्मिला ने जो दर्द मिटाओ तुम॥

त्याग दिया नारी को कष्ट सहा उसने,
हर क्षण प्रतिपल प्रतिपद दर्द सहा उसने।
तुम आदर्श बने फिरते हो क्यों जग में,
हर युग में नारी ने कष्ट सहा जग में॥

लाज द्रौपदी की लूटी दरबारों ने,
मीरा को विष प्याला दे घरवालों ने।
रज़िया जब जब राजमहल में जाएगी,
बलवन की साज़िश से मारी जाएगी॥

कहाँ है गोकुल के गोपी और वो ग्वाला,
मीरा के उस प्रेम गीत का मतवाला।
दु:शासन की बाँह भुजा को चीर सके,
दुर्योधन के अंतिम युद्ध को जीत सके॥

रावण की बस मूर्ति जलाई जाएगी,
सीता फिर भी रोज चुराई जाएगी।
अग्नि परीक्षा बार-बार ली जायेगी,
लव-कुश को जनने वो वन में जाएगी॥

भरत ने सिंह के शावक का मुँह खोला था,
लव-कुश ने उस अश्वमेध को रोका था।
राहुल को आजन्म पुकारा राहु क्यों,
जो भविष्य भारत का गर्त में डाला क्यों॥

नारी तो चाहे कि हो सम्मान मेरा,
कदम-कदम पर न होवे अपमान मेरा।
शिक्षा पाकर नारी बनती वाणी है,
राष्ट्र प्रेम की धुरी वही कल्याणी है।

ना दहेज की बलि पे उसे चढ़ाओ अब,
अग्नि शिखा की भेंट न उसे चढ़ाओ अब।
माँ की कोख में तुमने उसको मार दिया,
थे तो तुम मानव क्यों ये अपराध किया॥

चौराहे पर तुमने इज़्ज़त लूटी क्यों ?
कोमल कली फूल सी नाजुक मसली क्यों ?
बेटी हो जिस घर की भी वो बेटी है,
जाति-धर्म-मज़हब से परे वो बेटी है॥

निर्बल नहीं कभी नारी वो तो बल है,
हारी नहीं कभी वो तेरा सम्बल है।
पीड़ा में रहकर वो और निखरती है,
मनु तुम हो शतरूपा वो बन रहती है॥

लक्ष्मी ने झाँसी को जब ललकारा था,
बेगम हज़रत ने जब अवध सम्भाला था।
चेनम्मा का शंखनाद दक्षिण में था,
बूढ़ा भारत फिर से जोश में आया था॥

याद करो नारी का त्याग-तपस्या तुम,
गंगा तो है पावन करो न गंदा तुम।
जननी जन्म भूमि प्रायश्चित माँग रही,
अश्रु न टपके आँखों से प्रण माँग रही॥

शक्ति रूपिणी नारी की जय-जय बोलो,
दुर्गा काली सरस्वती की जय बोलो।
भारत के हो लाल कहो जय भारत की,
भारत माता की जय बोलो भारत की॥

परिचय-डॉ.नीलिमा मिश्रा का साहित्यिक नाम नीलम है। जन्म तारीख १७ अगस्त १९६२ एवं जन्म स्थान-इलाहाबाद है। वर्तमान में इलाहाबाद स्थित साउथ मलाका (उत्तर प्रदेश) बसी हुई हैं। स्थाई पता भी यही है। आप एम.ए. और पी-एच.डी. शिक्षित होकर केन्द्रीय विद्यालय (इलाहाबाद) में नौकरी में हैं। सामाजिक गतिविधि के निमित्त साहित्य मंचन की उपाध्यक्ष रहीं हैं। साथ ही अन्य संस्थाओं में सचिव और सदस्य भी हैं। इनकी लेखन विधा-सूफ़ियाना कलाम सहित ग़ज़ल,गीत कविता,लेख एवं हाइकु इत्यादि है। एपिग्रेफिकल सोसायटी आफ इंडिया सहित कई पत्र-पत्रिका में विशेष साक्षात्कार तथा इनकी रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। ब्लॉग पर भी लिखने वाली डॉ. मिश्रा की विशेष उपलब्धि-विश्व संस्कृत सम्मेलन (२०१५,बैंकाक-थाईलैंड)और कुम्भ मेले (प्रयाग) में आयोजित विश्व सम्मेलन में सहभागिता है। लेखनी का उद्देश्य-आत्म संतुष्टि और समाज में बदलाव लाना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-डॉ. कलीम कैसर हैं। इनकी विशेषज्ञता-ग़ज़ल लेखन में है,तो रुचि-गायन में रखती हैं। 

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