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शिक्षक सच्ची राह दिखाता

मीरा सिंह ‘मीरा’
बक्सर (बिहार)
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शिक्षक दिवस विशेष…

मिलती जिसे गुरु की कृपा,
जीवन उसका है तर जाता
शिक्षक होता है एक मशाल,
सबको सच्ची राह दिखाता।

आए कितनी भी बाधाएं,
तनिक नहीं वह घबराता है
बुद्धि बल भर देता है सबमें,
हर बाधा से टकराता है।
अपनी पीड़ा हृदय सहेजे,
ज्ञान सुधा रहता बरसाता॥

राष्ट्र पर जब आती विपदा,
शिक्षक अपना फर्ज निभाता
भर देता है जोश रगों में,
गीत जागरण के वह गाता।
हाथ पकड़ कर चले सभी का,
कहलाता वह राष्ट्र निर्माता॥

रहे साधनारत जीवनभर,
सपनों के वह बाग लगाता
रहे शिष्य का ज्ञान बढ़ता,
उसकी नैया पार लगाता।
दुनिया उसको शीश झुकाती,
सारा जग उसका गुण गाता॥

दीपक बनकर तम से लड़ता,
अज्ञानता को दूर भगाता
शिक्षक होता ज्ञान का सागर,
ज्ञान की गंगा रहे बहाता।
कष्ट-क्लेश मन का हर लेता,
नयी सुबह जीवन में लाता॥

शिक्षक होता जहां अपमानित,
विकास वहां न होता समुचित
लोकतंत्र लगता बेचारा,
अभिलाषाएं होती कुंठित।
शिक्षक को मिलता मान नहीं,
अमन-चैन से टूटे नाता॥

मायूसी के अंधियारे में,
शिक्षक आशा दीप जलाता ?
बड़े प्यार से संस्कारों को,
मन में वह रोपित करता।
मन के सूने से आँगन में,
उम्मीदों की परियाँ लाता॥

शिक्षक के सिर जिम्मेदारी,
आज बढ़ी है कितनी सारी
फिर क्यों होता है अपमानित,
मान-सम्मान का अधिकारी।
करके उससे हकमारी अब,
क्यों उसका दिल रहे दुखाते ?

परिचय-बक्सर (बिहार) निवासी मीरा सिंह का साहित्यिक उपनाम ‘मीरा’ है। १ अगस्त १९७२ को ग्राम-नसरतपुर (जिला-आरा, बिहार) में जन्मीं और वर्तमान में डुमराँव (बक्सर) में बसेरा है। आपको भाषा ज्ञान-हिन्दी, अंग्रेजी और भोजपुरी का है तो पूर्ण शिक्षा एम.ए. और बी.एड. है। कार्यक्षेत्र- सरकारी विद्यालय में मनोविज्ञान विषय में शिक्षक का है। सामाजिक गतिविधि में लोगों में जागरूकता लाने वाले कार्यक्रमों में सहभागिता है। कहानी, लघुकथा, कविता और व्यंग्य लेखन आपकी विधा है। प्रकाशन के अंतर्गत अब तक ४ किताबें (अहसासों की कतरन- काव्य संग्रह, बचपन की गलियाँ-बाल काव्य संग्रह, कुर्सी और कोरोना-व्यंग्य संकलन एवं बच्चों की दुनिया-बाल काव्य संग्रह) प्रकाशित हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में करीब ३० साल से आपकी रचनाएँ प्रकाशित हो रही हैं। लेखनी को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार देखें तो विद्यावाचस्पति सम्मान, श्रीमती सरला अग्रवाल स्मृति सम्मान, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक शिरोमणि पुरस्कार (पटना), अपराजिता सम्मान २०१८ और २०२३, पाती लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, बाल साहित्य शोध संस्थान (दरभंगा) द्वारा रामवृक्ष बेनीपुरी शिखर सम्मान व बाल कहानी प्रतियोगिता में प्रथम के अतिरिक्त अन्य पुरस्कार-सम्मान आपको मिले हैं। निःस्वार्थी, कर्मठ और संवेदनशील शिक्षक-साहित्यकार के रूप में चर्चित होना इनकी उपलब्धि है। मीरा सिंह ‘मीरा’ की लेखनी का उद्देश्य दुनिया को खूबसूरत बनाने की कोशिश, दबे-कुचले लोगों की आवाज बनना, आने वाली पीढ़ी में समझ विकसित करके योग्य नागरिक बनने में सहयोग करना हैं। मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा और साहिर लुधियानवी पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो आसपास का माहौल, सामाजिक विद्रूपताएं, विषम परिस्थितियाँ और प्रकृति में घटित घटनाएं प्रेरणापुंज हैं। ‘मीरा’ की विशेषज्ञता अनकही बातों को समझने में कभी चूक नहीं होना व किसी की पीड़ा समझने व महसूसने का ईश्वरीय वरदान है। आपका जीवन लक्ष्य-समाज में मिले हर किरदार को शानदार ढंग से निभाते हुए जागरूक, सुसंस्कृत और संवेदनशील समाज बनाने में अहम भूमिका निभाना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“फ़ौजी परिवेश में पली-बढ़ी हूँ। देश मुझे जान से प्यारा है और हिंदी तो मेरी माँ जैसी है। इसके प्रचार-प्रसार के लिए जितना भी करूं, जो भी करूं, कम होगा। भाषा के रूप में हिंदी मैट्रिक तक ही पढ़ी है, पर लेखन हिंदी में करती हूँ, क्योंकि हिंदी मेरे हृदय की भाषा है।”