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शुक्रिया कहना उस पिता को

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष…..

परिवार के लिए पसीने को,
पीने वाला पिता होता है
बच्चों की हर फरमाइश पूरी होती है,
चाहे खुद के ख्वाबों का घर रोता है।

शुक्रिया कहना है उस पिता को,
ए पल तू थोड़े प्यार से रुक
हर दिन फर्ज के बोझ से,
जिस पिता की कमर गई है झुक।

महीना होते ही कितनी निगाहें,
पिता की तनख्वाह को ताकती है
पिता की जिन्दगी बच्चों की मुस्कान,
के लिए दिन-रात भागती है।

जो बच्चे बोलते हैं-‘पापा मेरी,
जिन्दगी है बीच में मत बोलो’
पिता की देखभाल को हस्तक्षेप,
से तुम कभी मत तोलो।

बुढ़ापे में पिता को हम,
एक चश्मा नहीं दे पाते हैं
जो खून-पसीने को एक कर,
हमारी खुशी को घर लाते हैं।

बच्चे तो तुम्हारे भी होंगे जो पिता,
को दिया है अपमान का पल
अपने बच्चों के संग,
लौट कर आएगा यह कल।

पिता जी आपको ‘आरती’,
करती है कोटि-कोटि प्रणाम।
पिता के त्याग भरे पसीने को,
नहीं चाहिए कोई प्रमाण॥

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैL आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैL आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैL आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैL आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैL अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंL आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंL

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