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संघर्ष

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)

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संघर्ष जीवन का प्रमुख हिस्सा है,
इसमें खुशियां ढूंढो यारों।
संघर्ष कर गतिशील रहना होता है,
संघर्ष करते ही मानव
अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है।
संघर्षों के सागर में,
नवीन ऊर्जा के साथ आगे कदम बढ़ाना
होती है संघर्ष की पहचान।
रवि स्वयं एक संघर्ष से जूझकर,
प्रतिदिन उदित होता है,
नवीन शक्ति,नवीन ऊष्मा
नवीन अरुणिमा के साथ।
उसने कभी अपने कार्य से विलंब नहीं किया,
संघर्ष-दु:ख में प्रतिदिन उदित होना
वह अपना कर्तव्य समझता है।
संघर्ष के सागर में मानव को,
थककर नहीं बैठना चाहिए।
मेघ भी स्वयं पवन से संघर्ष कर,
अमृत बरसाते हैं।
दु:ख में मानव को दुखी होकर नहीं बैठना चाहिए,
संघर्ष और दु:ख यह तो हमारा
अनुभव बढ़ाते हैं,
अनुभव से ही जीवन निखरता हैl
नई शक्ति को भी दुःख की रात्रि ले डूबती है,
परंतु रात्रि को भी हराना
रवि का कर्तव्य है।
हर दु:ख की रात्रि से लड़कर एक नया सवेरा लाओ,
संघर्ष करो तुम डटकर और सब अंधकार भगाओll

परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’

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