कुल पृष्ठ दर्शन : 7

You are currently viewing लोकतंत्र की दृढ़ता के लिए मतदान अनिवार्य

लोकतंत्र की दृढ़ता के लिए मतदान अनिवार्य

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
*******************************************

‘सबको करना चाहिए, निश्चित ही मतदान।
लोकतंत्र मजबूत हो,
बढ़े लोक की शान॥’
मतदान नागरिकों को नागरिकता के महत्व का एहसास करने में भी मदद करता है। बहुत से लोग यह सोचते हुए मतदान नहीं करते कि, १ मत से कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन जैसा कि यह तथ्य है। एक राष्ट्र की राजनीतिक नींव का उपयोग चुनावों के लिए किया जाता है। मतदान एक बुनियादी प्रक्रिया है, जो देश की सरकारी प्रणाली को बनाती है। यह नागरिकों को अपनी सरकार चुनने में सक्षम बनाता है। यह लोगों को सरकार में अपने प्रतिनिधि चुनने की भी अनुमति देता है। प्रत्येक सरकार का उद्देश्य अपने नागरिकों के लाभ के लिए विभिन्न नीतियों का विकास और कार्यान्वयन करना है। यह मुद्दों और स्पष्टीकरण के बारे में सरकार से सवाल करने के अधिकार वाले व्यक्ति को भी सक्षम बनाता है।मतदान एक लोकतांत्रिक राष्ट्र में एक नागरिक की राय व्यक्त करने का तरीका है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सक्रिय करने के लिए मतदान बहुत महत्वपूर्ण होता है। मतदान नागरिक का अधिकार है, साथ ही कर्तव्य भी है। मतदान के माध्यम से हम अपने देश के भविष्य को आकार देते हैं। एक मतदान से सरकारें बदल सकती हैं, देश का विकास हो सकता है और समाज में बदलाव आ सकता है। यह अधिकार हमें संविधान द्वारा प्रदान किया गया है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि, हम अपने मताधिकार का प्रयोग करें और विकास में योगदान दें।
बहुत से लोग मतदान करना चाहते हैं, लेकिन बहुत से लोगों को इसकी आवश्यकता और इसे डालने के तरीके के बारे में जानकारी नहीं होती है। यहीं पर मतदान जागरूकता काम आती है। मतदान जागरूकता का विचार लोगों को मतदान के महत्व को समझने में मदद करना है। यह नागरिकों के लिए मतदान के बारे में जागरूकता बढ़ाकर यह व्यक्त करने का एक तरीका है कि, वे अपने नेताओं से क्या चाहते हैं। इससे बेहतर शासन मिलेगा और हर कोई चाहता है-एक ऐसा लोकतंत्र, जो स्वतंत्र, निष्पक्ष और प्रतिनिधित्वपूर्ण हो। मतदान से नागरिकों को अपनी सरकार में अधिक शामिल होने और उसे जवाबदेह बनाए रखने में मदद मिलती है।
मतदान लोकतंत्र का अभिन्न अंग है और लोगों के लिए अपनी बात रखना जरूरी है। सभी को मत देने का अधिकार है, जिसका अर्थ है कि, सभी भारतीय अपनी पसंद के प्रधानमंत्री के लिए मत कर सकते हैं। मतदान करके अपने समुदाय में बदलाव ला सकते हैं। मतदान इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि आप किसी कानून को तभी निरस्त कर सकते हैं जब अधिकांश नागरिक उससे सहमत हों। अपनी आवाज़ सुनकर और उन लोगों के विचारों का प्रतिनिधित्व करके दुनिया में बदलाव लाना महत्वपूर्ण है, जिनके पास कोई आवाज़ नहीं है। बदलाव लाना चाहते हैं तो मतदान एक बेहतरीन तरीका है।
मतदान महत्वपूर्ण नागरिक कर्तव्य है, जो राजनेताओं को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह बनाए रखने में मदद और हमारे लोकतंत्र के लिए रूपरेखा तैयार करता है।
मतदान से हम यह तय कर सकते हैं कि, हमारा देश किस दिशा में बढ़े। तय कर सकते हैं कि, किस तरह की सरकार हो। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने मतदान का सही उपयोग करें। इसी को नैतिक मतदान कहा जाता है। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर राज्य, जिला, तहसील व खंड स्तर पर व्यापक रूप में मतदाता जागरुकता अभियान से जागरूकता लाई जा रही है। महाविद्यालयों में भी प्राचार्य के मार्गदर्शन में अनेक गतिविधियों द्वारा मतदान का प्रतिशत बढ़ाए जाने की सतत् कोशिशें हो रही हैं। यह यथार्थ है कि, मतदान का प्रतिशत जितना अधिक होगा, लोकतंत्र उतना ही अधिक मजबूत होगा-
‘लोकतंत्र हमसे कहे,
हो नैतिक मतदान।
अंधकार सब दूर हो,
जनता का हो मान॥’

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।