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संस्कारों से मिलाप कराता महोत्सव

रत्ना बापुली
लखनऊ (उत्तरप्रदेश)
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मिक्स अचार-सा ही जानो,
होता आयोजित महोत्सव है
हर सब्जी-सा ले जन-जाति,
एक में मिलाता महोत्सव है।

तरह-तरह के मसालों-सा रंग,
एक में पिरोता महोत्सव है
सुगन्ध भारत की फैलाता,
त्यौहार हमारा महोत्सव है।

प्रकृति की धूप में खिलकर,
अक्षुण्ण रहता महोत्सव है
हर प्रान्त व जाति से मिल,
बनता एकता का महोत्सव है।

अपनी खूबियों को दर्शाता,
झलक दिखलाता महोत्सव है
मन की उर्जा को बढ़ाता,
समय-समय पर महोत्सव है।

‘खादी’ का महत्व बताता,
आयोजित होता महोत्सव है
संस्कारों से मिलाप कराता,
हर त्यौहार महोत्सव है।

अमर दिनों तक सहेजता,
अचार तथा महोत्सव है
मानवीय मूल्यों को बढा़ता,
भारत का हर महोत्सव है।

भारत की धरोहर-गुण को,
सबको दिखाता महोत्सव है।
इसीलिए हर साल लगता,
मेला सुन्दर महोत्सव है॥