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विरह

ममता बैरागी
धार(मध्यप्रदेश)

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आज दो अश्क नैनों से लिए जाते हो,
तन्हा किसके भरोसे यूँ छोड़ आते हो।
जब तक था साथ,लबों पर हँसी थी,
आज सारी दुनिया में खो गई खुशी थी।
क्यों हमें इस तरह गम दिए जाते हो,
साँसों की डोर छोड़,कह देते हो।

एक प्यार ही तो मांगा था मेरे यार,
आशियाने को सजाने हुए रथ पर सवार।
आज उसी घर को क्यों छोड़े जाते हो,
कहाँ फिर बसाओगे,बता सकते हो।
वफा का दामन तुम छोड़ते हो,
बार-बार किस तरह आशिक बदलते हो।

चलो फिर हम वादा आपसे करते हैं,
जब तक है साँस तुम्हारे लिए जीते हैंl
हमारा क्या,यूँ ही अब यह लेंगे,
जैसे-तैसे यह जीवन काट लेंगेl
आओ कभी भी हमें वही पाते हो,
इस कदर हमें भी तुम आजमाते होll

परिचय-ममता बैरागी का निवास मध्यप्रदेश के धार जिले में है। आपकी जन्‍म तारीख ९ अप्रैल १९७० है। श्रीमती बैरागी को हिन्‍दी भाषा का ज्ञान है। एम.ए.(हिन्‍दी) एवं बी.एड. की शिक्षा प्राप्त करके कार्य क्षेत्र-शिक्षण(सहायक शिक्षक ) को बनाया हुआ है। सामाजिक गतिविधि-लेखन से जागरूक करती हैं। संग्रह(पुस्‍तक)में आपके नाम-स्‍कूल चलें हम,बालिका शिक्षा समाज,आरंभिक शिक्षा और पतझड़ के फूल आदि हैं। लेखनी का उदेश्‍य-समाज में जागरूकता लाना है। आपके लिए प्रेरणापुंज- पिता तथा भाई हैं। आपकी रुचि लेखन में है।

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