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सब्जी का पड़ोसी धर्म

डॉ. सोमनाथ मुखर्जी
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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पड़ोसी वह प्राणी होता है जो आपके घर के आस-पास,पड़ोस में रहते हैं, आपसे मीठी-मीठी बातें करते हैं, आपको हर समय मदद करने का वादा करते रहते हैं, पर जरूरत के समय दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ते हैं। और सबसे बड़ी बात यह है कि उनको आपकी ख़ुशी कभी भी बर्दाश्त नहीं होती है और किसी भी तरीके से आपको किसी झमेले में डाल कर खुश होते हैं।
हमारा शहर बहुत शांत है और मैं जिस मोहल्ले में रहता हूँ यहाँ के लोग काफी मिलनसार और सज्जन हैं, पर कभी-कभी न चाहते हुए भी कुछ घटनाएं घट जाती हैं, जिसे लेकर सभी चिंतित हो जाते हैं। फिर सभी मिलकर समस्या को सुलझाते हैं और एक-दूसरे के साथ भाईचारे से रहते हैं।
मेरे घर के पास मेरा एक छोटा जमीन का टुकड़ा था, जिसमे मैं कभी-कभी खाली समय में मौसम अनुरूप सब्जी-भाजी बोया करता था। उसमें जो भी सब्जी-भाजी उगती थी, उसे अपने मोहल्ले में बाँट दिया करता था। रसायन मुक्त ऑर्गेनिक फसल के स्वाद की सभी तारीफ करते थे।
मेरे इस जमीन के बाजू में एक छोटी-सी जमीन मुकेश भाई की थी। मुकेश भाई का व्यवसाय था, उसने अपनी जमीन पर घर बनाना शुरू किया। एक दिन मैं देखता हूँ कि उसने मेरी जमीन के उपर अपना कब्ज़ा करने के लिए उसे घेरे में ले लिया है। मैंने उनसे जाकर बातचीत की और उन्हें बहुत समझाया कि आप मेरी जमीन में मुझसे पूछे बिना कैसे कब्ज़ा कर सकते हैं। मुकेश भाई मेरी बात नहीं माने, और झगड़ा करने लगे।
मैंने मोहल्ले वाले और अपने पड़ोसियों को अपनी समस्या बताई। वे लोग मेरा पक्ष लेने लगे और बोले कि भाई साहब आप चिंता मत कीजिए, हम लोग आपके साथ हैं। आप मुकेश के साथ भिड़ जाइए। मैंने बोला कि इसके पहले हम सब मोहल्ले वाले मिलकर इस विषय पर बैठक कर लेते हैं, जिसमें आप सभी मिल कर मुकेश भाई को समझाएं कि वह गलत कर रहा है।
एक छुट्टी के दिन सवेरे मोहल्ले के सभी लोग इकट्ठा हुए और मुझे एवं मुकेश भाई को बैठक में बुलाया। आपस में बैठ कर सुलह करने की बात बोली, पर मुकेश भाई ने बैठक में मेरी जमीन का कब्ज़ा छोड़ने का साफ मना कर दिया। बोले कि मेरा घर छोटा पड़ रहा था, इसीलिए मैंने इनकी जमीन कब्जे में ले ली।
सभी ने उसे बहुत समझाया कि मुकेश भाई इस तरह से कभी कोई काम नहीं किया जाता। आपने भाईसाब से बगैर पूछे उनका जमीन पर कब्ज़ा कर लिया, ये बहुत बुरी बात है। जब मुकेश भाई समझने के लिए राजी नहीं हो रहे थे, तब मोहल्ले वालों ने कहा तो फिर हम लोग पुलिस में आपके खिलाफ रिपोर्ट कर देंगे। मुकेश भाई भी कहाँ पीछे हटने वाले थे, उन्होंने कहा ठीक है आप लोग कुछ भी कर लीजिए, पर मैं यह कब्ज़ा नहीं छोडूंगा।
दूसरे दिन मैंने थाने जाकर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। शाम को पुलिसवाले अपने साथ इलाके के पटवारी को लेकर मेरे घर आए। मेरी जमीन के कागजात देखकर और अपने रिकॉर्ड से मिलाकर पटवारी बोला यह जमीन तो आपकी है। तब पुलिसवाले मुकेश भाई से मिले और उन्हें जमीन के कागजात दिखाए व पटवारी की राय बताई। उन्हें २ दिन का वक्त दिया, ताकि वह मेरे जमीन से अपने घेरे को तोड़ दें। उसे बताया गया कि वह अगर ऐसा नहीं करता है तो उसे गिरफ्तार कर लेंगे। उस समय तो मुकेश भाई कुछ भी नहीं बोले, पर मैंने देखा कि २ दिन बीत जाने के पश्चात भी उन्होंने अपना घेरा नहीं तोड़ा। मैं उनके पास गया और इसका कारण पूछा।
मुकेश भाई जो बोले उससे मुझे अपने पड़ोसियों का चरित्र समझ में आया, और वह मुझे अच्छा नहीं लगा। उसने बोला कि यह जमीन का वाद सिविल वाद होता है, अत: इसमें पुलिस कुछ भी नहीं कर सकती है। मैं अपना कब्ज़ा नहीं तोडूंगा। मैं जानता था कि मुकेश भाई के पास इतना दिमाग नहीं है तो मैंने पूछा यह आपको किसने बताया। तब वो बोला- आपके पड़ोसी वकील शिव कुमार ने मुझे बताया, और बोला है कि अगर आप तीन-पांच करते हो तो वे मेरी तरफ से प्रकरण लड़ने को तैयार है। मैं चौंक गया, क्योंकि शिव कुमार केवल मेरे ,पड़ोसी ही नहीं थे,बल्कि मेरे सच्चे हितैषी भी थे।
एक बार मुझे लगा कि शायद मुकेश भाई झूठ बोल रहा है, पर मैं उसे अच्छी प्रकार से जानता था कि वह सीधा-सादा आदमी है और इतना छल-कपट उसके मन में नहीं रहता है, जरूर कोई उसे उचका रहा होगा। मेरे द्वारा प्रेम से पूछे जाने पर मुकेश भाई बोले कि मैं तो सिर्फ अपनी जमीन पर घर बना रहा था, केवल शिव कुमार के कहने पर आपकी जमीन पर घेरा डाल दिया। जब पुलिस ने मुझे धमकी दी तब मुझे डर लगने पर शिव कुमार ने समझाया कि आप किसी भी बात की चिंता मत करना, मैं आपके साथ हूँ, पर जब मैंने पुलिस का आना बताया तब मुझे उनका व्यवहार कुछ रुखा लगा। वे मुझसे प्रकरण लड़ने के लिए रुपए मांगने लगे। मेरे पास उस वक्त रुपए नहीं थे, ऐसा बोलने पर मुझे दुत्कार दिया।
जब मैंने उनसे पूछा कि आप जानते हैं कि वाद लड़ने में आपका कितना रूपया और समय बर्बाद होगा, सिविल वाद में सालों-साल लग जाते हैं, और आपका जिस दिन प्रकरण लगेगा, उस समय सारा दिन दुकान बंद करके अदालत में खड़ा रहना पड़ेगा, कोई भी आपको पानी तक नहीं पूछेगा और तो और वहां जितने भी लोग रहते हैं आपसे कुछ न कुछ बहाना बनाकर रुपए वसूलते रहेंगे, ये बात आपको वकील शिव कुमार ने नहीं बताई!
लगता है कि मुकेश भाई को यह बात नहीं मालूम थी, तो वह सोच में पड़ गए। कोरोना काल में उसकी दुकान काफी दिन तक बंद थी, उसका बहुत नुकसान हुआ था। अगर फिर से दुकान बंद कर अदालत में जाना पड़े तो बहुत मुश्किल हो जाएगी। दुकान बंद होने से उसके ग्राहक टूट जाएंगे। मैंने उसे समझाया कि मुकेश भाई जिस समय हमारे शहर में ‘ताला-बंदी’ चल रही थी, याद कीजिए उस समय आप तथा मेरे सारे पड़ोसी मेरे द्वारा उगाई हुई सब्जी-भाजी पर निर्भर रहते थे। और अब आप मेरी जमीन घेर कर मुझसे दुश्मनी कर मेरे द्वारा किए गए उपकार का बदला इस प्रकार चुकाएंगे, यह मैंने कभी सोचा भी नहीं था। मैं तो आपको एक अच्छा-भला इन्सान समझता था।
लगता है कि मेरे द्वारा कही गई भावुकतापूर्ण बातें उसके मन को छू गई थी। मुकेश भाई बोले-मैं भी आपकी जमीन पर घेरा डालना नहीं चाहता था, पर मुझे शिव कुमार तथा आपके दूसरे पड़ोसी मोहन बाबू ने ऐसा करने को कहा था। वे लोग बात कर रहे थे कि आजकल आप बहुत ज्यादा उड़ रहे हैं, खुश रहते हैं, और दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करते रहते हैं, आपको मजा चखाना पड़ेगा। दोनों ने मुझे आपकी जमीन पर घेरा डालने के लिए बताया, साथ में आश्वासन भी दिया कि आप घबराना नहीं, हम आपके साथ आखरी दम तक खड़े रहेंगे, लेकिन जब पुलिस और पटवारी आए तो दोनों अपने घर पर ही थे, किन्तु मेरे बुलाने के बाद भी नहीं आए। अब मेरी आँख खुल गई और मैं अभी आपकी जमीन पर मेरे द्वारा बनाया गया घेरा तोड़ देता हूँ। अब समझ आया कि वे दोनों मुझे नाहक झमेले में डाल रहे थे।

परिचय- डॉ. सोमनाथ मुखर्जी (इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस -२००४) का निवास फिलहाल बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में है। आप बिलासपुर शहर में ही पले एवं पढ़े हैं। आपने स्नातक तथा स्नाकोत्तर विज्ञान विषय में सीएमडी(बिलासपुर)एलएलबी,एमबीए (नई दिल्ली) सहित प्रबंधन में डॉक्टरेट की उपाधि (बिलासपुर) से प्राप्त की है। डॉ. मुखर्जी पढाई के साथ फुटबाल तथा स्काउटिंग में भी सक्रिय रहे हैं। रेलवे में सहायक स्टेशन मास्टर के पद से लगातार उपर उठते हुए रेल के परिचालन विभाग में रेल अधिकारी के पद पर पहुंचे डॉ. सोमनाथ बहुत व्यस्त रहने के बावजूद पढाई-लिखाई निरंतर जारी रखे हुए हैं। रेल सेवा के दौरान भारत के विभिन्न राज्यों में पदस्थ रहे हैं। वर्तमान में उप मुख्य परिचालन (प्रबंधक यात्री दक्षिण पूर्व मध्य रेल बिलासपुर) के पद पर कार्यरत डॉ. मुखर्जी ने लेखन की शुरुआत बांग्ला भाषा में सन १९८१ में साहित्य सम्मलेन द्वारा आयोजित प्रतियोगिता से की थी। उसके बाद पत्नी श्रीमती अनुराधा एवं पुत्री कु. देबोलीना मुख़र्जी की अनुप्रेरणा से रेलवे की राजभाषा पत्रिका में निरंतर हिंदी में लिखते रहे एवं कई संस्था से जुड़े हुए हैं।

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