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समर्थन

राजकुमार जैन राजन
आकोला (राजस्थान)
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यह जो मील के पत्थर
महज पाषाण नहीं है,
गति है,लय है
हमारे चलने के साथ
जीवन के साक्षी भी बनते हैंl

जीवन में कुछ पल
अपने अस्तित्व बोध में
ऐसे भी होते हैं,
जिनमें हम बुद्ध बन जाने को
विवश होते हैंl

खामोशियों में ही
मन के सूने गाँव में,
शब्दों को अर्थ बदलते हुए देख
दिशाहीन इस जीवन में
विक्षिप्त-सी यह काया,
कंधों पर चढ़कर
पहाड़ों को रौंदने का,
समर्थन करती रहीl

मील के पत्थर को साक्षी मान
असहायता से अतृप्त,
मुट्ठियाँ मुड़ती है अपने-आप ही
भींचने लगती है,
आंधियां इसी तरह उठती है
और न जाने कितने हिस्सों में,
बंट जाता है व्यक्तित्वl

आंधियों को मिटने दो
कोई तो दिन होगा,
जो हमारी मुट्ठी में होगा
प्रकाश देगाll

परिचय-राजकुमार जैन का उपनाम ‘राजन’ है। आकोला(राजस्थान)में २४ जून को जन्में श्री जैन की शिक्षा एम.ए.(हिन्दी)है। लेखन विधा-कहानी, कविता है,जिसमें पर्यटन,लोक जीवन एवं बाल साहित्य प्रमुख है। आपका निवास आकोला में है। आपकी अनेक रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है, जिसमें-‘नेक हंस’ और ‘लाख टके की बात’ आदि प्रमुख है। हिन्दी सहित राजस्थानी, अंग्रेजी में भी बाल साहित्य की इनकी ३६ पुस्तकों का प्रकाशन हों चुका है,तो हिंदी बाल कहानियों का मराठी अनुवाद २० पुस्तकों में प्रकाशित हों गया है। विशेष रुप से ‘खोजना होगा अमृत कलश’ (कविता संग्रह) पंजाबी,मराठी,गुजराती सहित नेपाली एवं सिंहली में अनुदित होकर श्रीलंका से प्रकाशित हुआ है। पत्र-पत्रिकाओं में हजारों रचनाएं प्रकाशित करा चुके श्री जैन की रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी व दूरदर्शन सहित विभिन्न चैनल्स से हो चुका है। आपने सम्पादन के क्षेत्र में ‘रॉकेट'(बाल मासिक),’श्रमनस्वर’,’टाबर टोली’ एवं ‘हिमालिनी'(नेपाल)पत्रिकाओं को सहयोग दिया है। ‘राजन’ नाम से प्रसिद्ध बाल रचनाकार कईं मासिक पत्रिकाओं के सम्पादक रह चुके हैं। अनुवाद के निमित्त- ‘सबसे अच्छा उपहार’ बाल कहानी संग्रह पंजाबी,मराठी,उड़िया,गुजराती और अंग्रेजी में अनुदित हुआ है। हिन्दी बाल साहित्य की उत्कृष्ट पुस्तक पर संस्थापक के रुप में आप
प्रति वर्ष अखिल भारतीय स्तर पर २१ हजार रूपए का ‘पं. सोहनलाल द्विवेदी बाल साहित्य पुरस्कार’(११ वर्ष से सतत) और ५ हजार राशि के सम्मान देते हैं। ‘राजकुमार जैन राजन फाउण्डेशन’ की स्थापना करने के साथ ही आप साहित्य,शिक्षा,सेवा एवं चिकित्सा में निरन्तर सक्रिय हैं। आपको प्रमुख पुरस्कार और सम्मान में उदयपुर से ‘राजसिंह अवार्ड’ (२ बार),’शकुन्तला सिरोठिया बाल साहित्य पुरस्कार’,राजस्थानी भाषा,साहित्य एवं संस्कृति अकादमी (राज. सरकार),‘जवाहर लाल नेहरू राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार’,गिरिराज शर्मा स्मृति सम्मान,जयपुर द्वारा ‘समाज रत्न-२०१६’ और भारत-नेपाल मैत्री संघ द्वारा साहित्य सेतु सम्मान-२०१८ सहित १०१ से अधिक पुरस्कार-सम्मान प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। श्री जैन ने विदेश यात्रा में अमेरिका,कनाडा, मॉरीशस,मलेशिया,थाईलेंड,श्रीलंका और नेपाल आदि का भ्रमण किया है। आप विशेष रुप से हिन्दी के प्रचार-प्रसार सहित बाल साहित्य उन्नयन व बाल कल्याण के लिए विशेष योजनाओं का क्रियान्वयन करते हैं।

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