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समर्पित जीवन

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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भारत की भूमि पर जन्मा,
विनायक दामोदर सावरकर
ऐसा वीर किरदार कहलाया है,
सावरकर का हर एक कदम,
विश्व में पहले स्थान पर आया है।

भारत माँ को समर्पित जीवन,
हिंदुत्व का इतिहास बनाया था।
सर्वप्रथम उसने ही विदेशी वस्त्रों की होली जला,
स्वदेशी होने का मान बढ़ाया था।

दुनिया का वह पहला कवि था,
जेल को दीवारों को कागज
और कील-कोयले को कलम बनाया था,
पूर्ण स्वतंत्रता आंदोलन का लक्ष्य,
सर्वप्रथम उसने ही घोषित कर दिखलाया था।

झुका नहीं वह वीर सावरकर,
देश की खातिर सब सह आया था
आंदोलनकारी होने पर,
उपाधि वापिस ले स्नातक की
ब्रिटिश सरकार ने तुच्छ कदम उठाया था,
सर्वप्रथम उसने ही स्नातक होने का गौरव पाया था।

दोहरे अजीवन कारावास की सजा को,
देश के लिए हँस-हँस पूरी कर आया था
वकालत पर रोक सहन कर ली,
लेकिन इंग्लैंड के राजा की वफादारी की
शपथ नहीं ले पाया था।

पहला लेखक था वह विश्व का,
कलम जिसकी सत्य को ना झुठला पाई थी
जिसकी कृति ‘१८५७ का स्वातन्त्र्य समर’ को,
दो देशों में प्रकाशन से पहले प्रतिबंधित कर
ब्रिटिश सरकार प्रकाशित करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी।

राष्ट्र ध्वज तिरंगे में धर्म चक्र बन,
उनके विचार जगमगाएंगे।
देश की माटी के लिए,
वीर सावरकर के बलिदान को
भूल नहीं हम पाएंगे॥

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` है। ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदर नगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़ (जिला सोलन, हिमाचल प्रदेश) है। आपको हिन्दी, पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। आपकी पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला), एम.ए.(अर्थशास्त्र, हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता, कहानी, निबंध तथा लेख है। सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। लेखनी के लिए अनेक प्रंशसा-पत्र मिले हैं। सामाजिक संचार में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ है। आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिलीशरण गुप्त, निराला जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा और पंत जी हैं। समस्त विश्व को प्रेरणापुंज मानने वाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है, श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।’

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