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समाजसेवा

वन्दना पुणताम्बेकर
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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सारा हॉल लोगों से भरा हुआ था। संभ्रांत परिवारों की महिलाओं द्वारा सामाजिक उत्सव मनाया जा रहा था। पीछे किसी प्रतिष्ठित संस्था का बैनर लगा था। पूरे हॉल में रौनक बिखरी पड़ी थी।
उच्च परिवार की कुछ महिलाएं पर जमकर नाच रही थी। चंदा देकर अधिकारी बने लोग आगे की पंक्तियों में विराजमान थे। अपनी महिला को चारदिवारी में कैद कर समाजसेवा के नाम पर संभ्रांत महिलाओं के अंग प्रदर्शन की झांकी खुलेआम देखी जा रही थी। अधिकारी लोगों के सामने वह महिलाएं अपने-आपको किसी समाजसेवी संस्था की सदस्य होने पर गर्व महसूस कर रही थी,लेकिन अधिकारियों के लिए मात्र एक मनोरंजन का माध्यम था। उसमें से एक अधिकारी ने तिरछी नजर से पास बैठे अधिकारी की ओर देखकर कहा-“क्या नाच रही है वो हरी वाली…,कसम से…ऐसे नाच में हमें तो बुला ही लिया करो।”
‘जी सर,’ कहकर उसने भी व्यंगात्मक हँसी बिखेर दी।

परिचय: वन्दना पुणतांबेकर का स्थाई निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। इनका जन्म स्थान ग्वालियर(म.प्र.)और जन्म तारीख ५ सितम्बर १९७० है। इंदौर जिला निवासी वंदना जी की शिक्षा-एम.ए.(समाज शास्त्र),फैशन डिजाईनिंग और आई म्यूज-सितार है। आप कार्यक्षेत्र में गृहिणी हैं। सामाजिक गतिविधियों के निमित्त आप सेवाभारती से जुड़ी हैं। लेखन विधा-कहानी,हायकु तथा कविता है। अखबारों और पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं,जिसमें बड़ी कहानियां सहित लघुकथाएं भी शामिल हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-रचनात्मक लेखन कार्य में रुचि एवं भावनात्मक कहानियों से महिला मन की व्यथा को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास है। प्रेरणा पुंज के रुप में मुंशी प्रेमचंद जी ओर महादेवी वर्मा हैं। इनकी अभिरुचि-गायन व लेखन में है।

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