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सम्बन्ध अस्तित्व का अनस्तित्व से

डाॅ. पूनम अरोरा
ऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)
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अल्हड़ता थी उन्मुक्तता थी,
भोलापन और स्वच्छन्दता थी
मन था!! अतल गहराईयां नहीं,
बचपन था गम्भीरता नहीं
छोटे-छोटे से ख्वाब थे
खेल और खिलौनों के।
बचपन बीता,वक्त बदला-
प्रारम्भ हुआ जन्म इच्छा का,
आँखों में उतरा इक सुन्दर-सा ख्वाब
उसे पाने को हुआ मन बेकरार,
तस्वीर स्पष्ट नहीं थी-
थी शून्यता और आकारहीनता।
इच्छाओं से जन्मा बीज-
बीज से अंकुर,
मन ने पहचान लिया सम्बन्ध
अस्तित्व का अनस्तित्व से,
छँटा तमाच्छादन,हुआ विस्तार
स्पष्ट हो गई तस्वीर-
हुआ साहिब का दीदार।
पतझड़ में जैसे वो,
बसन्त बनकर आया-
मरूस्थल पर मरूद्यान का
सौंदर्य लेकर आया,
संग अपने लाया,पूजा और
सम्मान का उपहार।
साकार हुआ मेरे,
ख्वाबों का संसार॥

परिचय–उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ को रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) में हुआ है। शिक्षा- एम.ए.,एम.एड. एवं पीएच-डी.है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षिका हैं। इनकी लेखन विधा गद्य-पद्य(मुक्तक,संस्मरण,कहानी आदि)है। अभी तक शोध कार्य का प्रकाशन हुआ है। डॉ. अरोरा की दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक-खुशवंत सिंह,अमृता प्रीतम एवं हरिवंश राय बच्चन हैं। पिता को ही प्रेरणापुंज मानने वाली डॉ. पूनम की विशेषज्ञता-शिक्षण व प्रशिक्षण में है। इनका जीवन लक्ष्य-षड दर्शन पर किए शोध कार्य में से वैशेषिक दर्शन,न्याय दर्शन आदि की पुस्तक प्रकाशित करवाकर पुस्तकालयों में रखवाना है,ताकि वो भावी शोधपरक विद्यार्थियों के शोध कार्य में मार्गदर्शक बन सकें। कहानी,संस्मरण आदि रचनाओं से साहित्यिक समृद्धि कर समाजसेवा करना भी है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा हमारी राष्ट्र भाषा होने के साथ ही अभिव्यक्ति की सरल एवं सहज भाषा है,क्योंकि हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। हिंदी एवं मातृ भाषा में भावों की अभिव्यक्ति में जो रस आता है, उसकी अनुभूति का अहसास बेहद सुखद होता है।

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