गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
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यह मानव शरीर परमपिता परमेश्वर की अनमोल संरचना है। इस मानव शरीर का मूल्य आप आँक ही नहीं सकते। सभी जानते हैं कि, जब इन्सान माँ के पेट में होता है तभी से हृदय धड़कना शुरू कर देता है और मृत्यु होने पर ही इसकी धड़कन बंद होती है।
हम थकावट होने पर आराम करते हैं, रात को सोते हैं लेकिन हृदय लगातार धड़कता रहता है।
चूंकि, सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है और इसका असर हमारी दिनचर्या पर पड़ना स्वाभाविक है, अतः खान-पान में भी सतर्कता अति आवश्यक है। बाजार में तैयार किए हुए खाद्य पदार्थ (फास्ट फूड) से बचना चाहिए। ध्यान रखें कि, जरा भी चूक से सर्दी-जुकाम से ग्रसित होने में देर नहीं लगेगी। इसके अलावा खाँसी-कफ हो जाए तो काम-काज में मन लगता ही नहीं। आयुर्वेद में सर्दी-जुकाम, कफ एवं खाँसी से आसानी से आराम पाया जा सकता है, बस थोड़ा समय अवश्य लगता है, लेकिन इलाज एकदम कारगर होता है।
यह अवश्य जान लें कि स्वस्थ रहना अपने हाथ में है। अतः वर्णित सावधानियों को अपना लेते हैं तो सर्दी वाला मौसम आराम से कट जाएगा। कुछ घरेलू उपाय अपना कर भी लाभ उठा सकते हैं, लेकिन घरेलू उपाय भी प्रशिक्षित वैद्य के ध्यान में ला दें-
🔹सुबह तथा रात्रि को सोते वक्त हल्दी-नमकवाले ताजे भुने हुए एक मुट्ठी चने खाएं, किंतु खाने के बाद कोई भी पेय पदार्थ, यहाँ तक कि पानी भी न पिएं। भोजन में घी, दूध, शक्कर, गुड़ एवं खटाई तथा फलों का सेवन बन्द कर दें। सर्दी-खाँसी वाले स्थाई मरीजों के लिए यह सस्ता प्रयोग है।
🔹भोजन के पश्चात हल्दी-नमकवाली भुनी हुई अजवायन को मुखवास के रुप में नित्य सेवन करने से सर्दी-खाँसी में न केवल आराम मिलता है, बल्कि लम्बे समय तक प्रयोग से खाँसी मिट भी सकती है।
🔹अजवाइन का धुआँ लेना चाहिए। मिठाई, खटाई एवं चिकनाईयुक्त चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
🔹सर्दी-जुकाम अधिक होने पर नाक बंद और सिर भी भारी हो जाता है। ऐसे में तपेली में पानी को खूब गरम करके उसमें थोड़ा दर्दनाशक मलहम, नीलगिरि का तेल अथवा कपूर डालकर सिर व तपेली ढँक जाए, ऐसा कोई मोटा कपड़ा या तौलिया ओढ़कर गरम पानी की भाप लें। ऐसा करने से कुछ ही मिनटों में लाभ होगा।
🔹अजवाइन की पोटली से छाती की सेंक करने से भी काफी राहत मिलती है।
🔹सितोपलादि चूर्ण बढ़े हुए पित्त को शान्त करते हुए कफ को छाँटता है। अर्थात गलाने में सहायक होता है। अन्न पर रुचि उत्पन्न करता है और जठराग्नि को तेज भी करता है, साथ ही पाचक रस को उत्तेजित कर भोजन पचाने में कारगर भूमिका निभाता है। इसलिए इस चूर्ण को भी लम्बे समय तक लिया जा सकता है।