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हमारा प्यारा वतन

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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सबसे सुन्दर प्राणों से प्यारा, यह अपना वतन है हमारा,
तुझे याद करके हिम्मत मिली, उत्साह बढ़ता है हमारा।

हे वतन तुझे प्यार करती हूँ, और सदा ही करती रहूँगी,
मेरे वतन तुझपे प्राण लुटाए हैं, प्राण लुटाती रहूँगी।

हे भारत के रणबांकुरों, तुम्हें भूलना आसान नहीं है,
अपने भारतवर्ष में छुपा, हम सबका सम्मान यही है।

भारत के कोने-कोने में, झलकता है वीर साहस तुम्हारा,
अब कभी नहीं झुक पाएगा, प्यारा भारत देश हमारा।

भारतमाता का आँचल वसुन्धरा, ‘देवभूमि’ कहलाती है,
भारत माता की जय-जय कार, हर ओर लगाई जाती है।

प्रार्थना है, हे वीर सपूतों दिव्य ज्योत दिखाते रहना,
हम सबके कदम डगमगाए, तो हौंसला बढ़ाते रहना।

खाती हूँ कसम तिरंगे की, सम्मान बरकरार रखूंगी,
लाख दुश्मन सामने आए, कमर कसके आगे रहूँगी।

आजादी, देखा दुश्मन ने स्वतंत्रता- गणतंत्र दिवस।
भाग फिरंगी भाग सुन के, रण छोड़ भागा होके विवश॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |