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सर्वश्रेष्ठ गीतकार थे शैलेन्द्र

विचार गोष्ठी…

कोलकाता (पश्चिम बंगाल)।

शैलेन्द्र के गीतों में भारतीय संस्कृति और जीवन-दर्शन के स्वर भरे हैं। शैलेन्द्र हिन्दी सिनेमा-गीतों के सर्वश्रेष्ठ गीतकार थे। प्रगतिशील कवि होते हुए भी शैलेन्द्र के गीतों में सहज रूप से लोक जीवन दिखता है।
यह बात कृष्ण बिहारी मिश्र अध्ययन मण्डल के तत्वावधान में कवि शैलेन्द्र जन्मशती वर्ष पर विशेष रूप से शैलेन्द्र के गीतों के गीतों में भारतीय संस्कृति और लोक जीवन पर विचार रखते हुए साहित्यकार प्रमोद शाह ने राजस्थान सूचना केंद्र के सभागार (कलकत्ता) में कही। श्री शाह ने शैलेन्द्र के गीत-मेरा जूता है जापानी, जागो मोहन प्यारे जागो, जीना यहां मरना यहां, सजन रे झूठ मत बोलो आदि गीतों के माध्यम से उनके विचारों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि शैलेन्द्र का सही मूल्यांकन होना बाकी है। इस अवसर पर विमल नवलखा ने शैलेन्द्र के गीत-‘होंठों पर सचाई होती है, जहां दिल में सचाई होती है’ से भावना व्यक्त की। केंद्र के सहायक निदेशक हिंगराज दान रतनू ने स्वागत भाषण दिया। संस्था के संयुक्त सचिव अजयेन्द्र त्रिवेदी ने संस्था का परिचय दिया। इस अवसर पर डॉ. दिव्या प्रसा

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