कुल पृष्ठ दर्शन : 374

You are currently viewing सागर के उस पार

सागर के उस पार

डाॅ. पूनम अरोरा
ऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)
*************************************

असीम सागर देख सवाल गए मन में ठहर,
पानी ही पानी,जहाँ तक गयी मेरी नजर
ऊपर की ओर देखा,दिल में उठती उमंगें,
नीचे धूप में मुस्काती सागर की आकुल तरंगें।

खामोश चलती जा रहीं,लहरें अनवरत,
दिल में छिपाये मानो राज अनगिनत
पूछ ही लिया मैंने खामोशी का कारण,
कर रहे हो कैसे,आजीवन पानी में सफर।

नज़र नहीं आता,दूर तलक साहिल,
कहाँ है पड़ाव तुम्हारा,कहाँ है मंजिल
सीने से उठती तुम्हारे,लहरें ये गहरी,
दिल है तुम्हारा या भावनाएं हैं तुम्हारी।

कुछ तो बताओ,क्या ख़ता है हमारी,
मित्र बना लो अपना,ये चाहत है हमारी।
ले चलो लहरों पे बैठाकर,अपने किनारे,
देखने की चाह है मुझे,किनारे तुम्हारे॥

परिचय–उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ को रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) में हुआ है। शिक्षा- एम.ए.,एम.एड. एवं पीएच-डी.है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षिका हैं। इनकी लेखन विधा गद्य-पद्य(मुक्तक,संस्मरण,कहानी आदि)है। अभी तक शोध कार्य का प्रकाशन हुआ है। डॉ. अरोरा की दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक-खुशवंत सिंह,अमृता प्रीतम एवं हरिवंश राय बच्चन हैं। पिता को ही प्रेरणापुंज मानने वाली डॉ. पूनम की विशेषज्ञता-शिक्षण व प्रशिक्षण में है। इनका जीवन लक्ष्य-षड दर्शन पर किए शोध कार्य में से वैशेषिक दर्शन,न्याय दर्शन आदि की पुस्तक प्रकाशित करवाकर पुस्तकालयों में रखवाना है,ताकि वो भावी शोधपरक विद्यार्थियों के शोध कार्य में मार्गदर्शक बन सकें। कहानी,संस्मरण आदि रचनाओं से साहित्यिक समृद्धि कर समाजसेवा करना भी है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा हमारी राष्ट्र भाषा होने के साथ ही अभिव्यक्ति की सरल एवं सहज भाषा है,क्योंकि हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। हिंदी एवं मातृ भाषा में भावों की अभिव्यक्ति में जो रस आता है, उसकी अनुभूति का अहसास बेहद सुखद होता है।

Leave a Reply