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साधु

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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ऐसे सच्चे साधु जन,जैसे सूप स्वभाव।
यह तो बीती बात है,शेष बचा पहनाव।
शेष बचा पहनाव,तिलक छापे ही खाली।
जियें विलासी ठाठ,सुनें तो बात निराली।
कहे ‘लाल’ कविराय,जुटाते भारी पैसे।
सुरा सुन्दरी शान,बने स्वादू अब ऐसे।

टोले साधु सनेह जन,चेले चेली संग।
कार गाड़ियाँ काफिला,सुरा सुन्दरी भंग।
सुरा सुन्दरी भंग,विलासी भाव अनोखे।
दौलत के हैं दास,ज्ञान ये बाँटे चोखे।
बुरे कर्म तन ‘लाल’,धर्म धन के बम गोले।
नाम कथा सत्संग,माल ठगते ये टोले।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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