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सारे धर्म नेक

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’
सोलन(हिमाचल प्रदेश)
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सभी धर्मों का,
करें सम्मान
भारतीय संविधान,
देता है यह पैगाम।

हमारे देश की,
सबसे बड़ी विशेषता
धर्म निरपेक्षता।

एक देश-अनेक धर्म,
करते रहो अच्छे कर्म
मत पालो भ्रम,
अच्छे हैं सारे धर्म।

धर्म निरपेक्षता का,
उदाहरण भारत में
पाया जाता है,
यहाँ हर मुसलमान भी,
दीवाली मनाता है।

पालें अपने धर्म को,
और करें दूसरों का सम्मान
सब एक-दूसरे में मिलकर रहें,
हिंदू हो या मुसलमान।

सारे धर्म अच्छे हैं,
सारे धर्म नेक हैं
एक है भारत देश,
पर यहाँ धर्म अनेक हैं।

गुरुद्वारे के लंगर में,
सभी लोग जाते हैं
ईद की सिंवईया,
हिंदू भाई भी खाते हैं।

अपने धर्म को,
शिद्दत से निभाएं
न करें ऐसे काम कि,
दूसरे को तकलीफ हो जाए।

कहीं अली की जय है,
कहीं बजरंगबली की जय है।
हमारे देश में तो,
सारे धर्मों की जय है॥

परिचय-डॉ. प्रताप मोहन का लेखन जगत में ‘भारतीय’ नाम है। १५ जून १९६२ को कटनी (म.प्र.)में अवतरित हुए डॉ. मोहन का वर्तमान में जिला सोलन स्थित चक्का रोड, बद्दी(हि.प्र.)में बसेरा है। आपका स्थाई पता स्थाई पता हिमाचल प्रदेश ही है। सिंधी,हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले डॉ. मोहन ने बीएससी सहित आर.एम.पी.,एन. डी.,बी.ई.एम.एस.,एम.ए.,एल.एल.बी.,सी. एच.आर.,सी.ए.एफ.ई. तथा एम.पी.ए. की शिक्षा भी प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र में दवा व्यवसायी ‘भारतीय’ सामाजिक गतिविधि में सिंधी भाषा-आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का प्रचार करने सहित थैलेसीमिया बीमारी के प्रति समाज में जागृति फैलाते हैं। इनकी लेखन विधा-क्षणिका,व्यंग्य लेख एवं ग़ज़ल है। कई राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन जारी है। ‘उजाले की ओर’ व्यंग्य संग्रह)प्रकाशित है। आपको राजस्थान द्वारा ‘काव्य कलपज्ञ’,उ.प्र. द्वारा ‘हिन्दी भूषण श्री’ की उपाधि एवं हि.प्र. से ‘सुमेधा श्री २०१९’ सम्मान दिया गया है। विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अध्यक्ष(सिंधुडी संस्था)होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-साहित्य का सृजन करना है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद एवं प्रेरणापुंज-प्रो. सत्यनारायण अग्रवाल हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी को राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिले,हमें ऐसा प्रयास करना चाहिए। नई पीढ़ी को हम हिंदी भाषा का ज्ञान दें, ताकि हिंदी भाषा का समुचित विकास हो सके।”