हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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जिसे साथ निभाना आता है,
अपने हो या पराए यहाँ कोई भी रिश्ते-नाते हो
बेटियों को सबका सम्मान करना आता है,
बेटियों से दूरी नहीं बनना चाहिए
वह तो हर परिस्थिति में हिम्मत नहीं हारती है।
अपने माता-पिता हो,
या ससुराल में सास-ससुर हो सभी के लिए उम्मीद की किरण बेटी ही होती है,
दु:ख-दर्द-तकलीफ़ में बेटी ही आज अपना फ़र्ज़ निभा रही है
वह कठिनाइयों में रहते हुए भी,
सदा मुस्कुरा रही है।
उसकी मुस्कराहट हर माता- पिता के लिए उम्मीद होती है,
बेटी आज हम सभी माँ-बाप के लिए अनमोल है
बेटी को पराया धन मत समझो,
बेटी दो परिवारों का मनोबल है।
बेटी हम सभी के लिए अमृत कलश है,
वह संजीवनी बूटी है
माँ-बाप के लिए वह अपने अंग दान करती है,
बेटी सही में देवी स्वरूप है पूजनीय है।
बेटियों से आशा है,
बेटियों से ही समृद्धि-उन्नति होगी
इसलिए बेटियों को अपना समझो; पराया नहीं।
बेटी रत्नों में बहुमूल्य है,
बेटियों से यह जहां है
क्योंकि, बेटी है तो कल है,
बेटी भारत का उज्जवल भविष्य है
हीरा है बेटी, उससे ही हम हैं।
वह ही जीवन-सब रंग है,
बेटी को पराया समझने वाले नासमझ हैं॥