सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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पावन सावन-मन का आंगन…
सावन पावन मास में, रिमझिम पडे़ फुहार।
रम्यता खिली प्रकृति में, हो शिवकृपा अपार॥
श्रावण आया चल चले, महाकाल के धाम।
कावड़ ले बम-बम कहो, सब बन जाए काम॥
सावन बरसे सुख मिले, तृप्त धरा की प्यास।
सब प्राणी है हर्षमय, सुख, उमंग, नवआस॥
मोर, दादुर, पपीहरा, सुने मेघ संगीत।
हरी-भरी भू मोहिनी, उर को भाए मीत॥
अतुल प्रकृति की रम्यता, साजन झूला डार।
प्रेमिल सजनी खुश कहे, बढ़ता जाए प्यार॥
मन भाए पावन सावन, मेघ सुनाए साज।
उर आँगन सुवास उठे, हुआ खुशी का राज॥