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साहित्यकार डॉ. शुक्ल की ४ कृतियाँ लोकार्पित

मुरादाबाद (उप्र)।

संस्था साहित्यिक मुरादाबाद की ओर से मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ. आर.सी. शुक्ल की ४ काव्य कृतियों का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर उन्हें श्रेष्ठ साहित्य साधक सम्मान से सम्मानित किया गया।
मुरादाबाद मंडल में संस्था ने रविवार को आयोजित समारोह में हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शुक्ल की कृतियों ‘दिव्या’, ‘अनुबोध’, ‘जिंदगी एक गड्डी है ताश की’ तथा ‘मृत्यु के ही सत्य का बस अर्थ है’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्हें सम्मान में मान-पत्र एवं अंग वस्त्र भेंट किए गए। मान-पत्र का वाचन संस्थापक डॉ. मनोज रस्तोगी ने किया।
रामगंगा विहार स्थित एमआईटी के सभागार में हुए इस समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं राजीव ‘प्रखर’ द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से हुआ। अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार यश भारती माहेश्वर तिवारी ने की। आपने कहा कि, डॉ. शुक्ल की रचनाओं के केन्द्र में मुख्यत: दर्शन है। उनकी कविताओं में एक कथात्मक विन्यास मिलता है। वे एक समर्थ कवि हैं।
मुख्य अभ्यागत के रूप में बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता, विशिष्ट अभ्यागत के रूप में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य कला मंच के अध्यक्ष डॉ. महेश दिवाकर, प्रख्यात हास्य व्यंग्य कवि डॉ. मक्खन मुरादाबादी, विशिष्ट अभ्यागत प्राचार्य डॉ. सुधीर अरोरा ने भी अपनी बात रखी।
इस अवसर पर डॉ. शुक्ल ने अपने कई गीत प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा-“हम कैसे यात्रा करें हमारे जीवन में संत्रास न हो। चिंता होना कोई भारी बात नहीं, विषाद न हो॥” कवयित्री निवेदिता सक्सेना ने उनका गीत प्रस्तुत किया।

राजीव प्रखर ने डॉ. शुक्ल का जीवन परिचय प्रस्तुत किया। डॉ. रस्तोगी एवं योगेन्द्र वर्मा के संयुक्त संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से योगेन्द्र पाल विश्नोई, डॉ. राकेश चक्र, मोहन राम मोहन, डॉ. रीना मित्तल, पूजा राणा, शिखा रस्तोगी, डॉ. मधु सक्सेना और अभिव्यक्ति सिन्हा आदि साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे। आभार-अभिव्यक्ति डॉ. रस्तोगी द्वारा की गई।

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