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हवा जहरीली

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’
मुंबई(महाराष्ट्र)
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नन्हें-नन्हें बच्चों की भी,अब आँखें क्यूँ गीली हैं,
सुर्ख हरे पौधों की पत्ती,हरी नहीं क्यूँ पीली है।
पावन पुण्य पवन भोर का,कड़वा कड़वा लगता है,
ऐसा क्या बस इसीलिये जो,आज हवा जहरीली हैll

क्यूँ खराश है ग्रीवा में,क्यूँ जलन आँख में होती है,
क्यूँ उपवन के आँगन में भी,घुटन साँस में होती हैl
हाथों को हाथ नहीं दिखता,क्यूँ अम्बर काला-काला है,
क्यूँ अमृत के प्याले में यूँ,जहर आज भर डाला हैll

वृक्ष कटे तो पावनता ही,पुण्य पवन सेे चली गई,
और प्रदूषण से नदियाँ,अबला जैसी छली गईl
अब धरती में नीर कहाँ,जो आस लगाए बैठे हैं,
झूठे सपनों की बोलो क्यूँ,सेज सजाए बैठे हैंll

काट-काट कर जंगल सारे,महल अटारी बना लिये,
धरती की छाती रौंद-रौंद कर,सड़क सवारी बना लियेl
क्यूँ विकास है धुआँ-धुआँ,क्यूँ हम इतने मजबूर हुए,
सुखमय जीवन की चाहत में,जीवन से ही दूर हुएll

उद्योग रहें या वाहन हों या,अपने महल अटारी हों,
क्या लाभ भला उनसे बोलो,जो जीवन पर ही भारी होंl
तुम कुदरत के नियमों को जब,तार-तार कर देते हो,
तब खुद ही खुद की आँखों में तुम,नीर स्वयं भर देते होll

पावन पुण्य पुनीता जीवन,जीना बहुत शऊरी है,
इस हेतु विधाता के नियमों का,पालन बहुत जरूरी हैl
आज हवा जहरीली है तो,उसका सत्य निदान करें,
हम वृक्षारोपण और प्रदूषण,दोनों का संज्ञान करेंll

परिचय-ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है।आप लगभग सभी विधाओं (गीत, ग़ज़ल, दोहा, चौपाई, छंद आदि) में लिखते हैं,परन्तु काव्य सृजन के साहित्यिक व्याकरण की न कभी औपचारिक शिक्षा ली,न ही मात्रा विधान आदि का तकनीकी ज्ञान है।आप वर्तमान में मुंबई में स्थाई रूप से सपरिवार निवासरत हैं ,पर बैंगलोर  में भी  निवास है। आप संस्कार,परम्परा और मानवीय मूल्यों के प्रति सजग व आस्थावान तथा देश-धरा से अपने प्राणों से ज्यादा प्यार है। आपका मूल तो राजस्थान का झूंझनू जिला और मारवाड़ी वैश्य है,परन्तु लगभग ७० वर्ष पूर्व परिवार उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में आकर बस गया था। आपका जन्म १ जुलाई को १९६२ में प्रतापगढ़ में और शिक्षा दीक्षा-बी.कॉम.भी वहीं हुई है। आप ४० वर्ष से सतत लिख रहे हैं।काव्य आपका शौक है,पेशा नहीं,इसलिए यदा-कदा ही कवि मित्रों के विशेष अनुरोध पर मंचों पर जाते हैं। लगभग २००० से अधिक रचनाएं आपने लिखी होंगी,जिसमें से लगभग ७०० का शीघ्र ही पाँच खण्डों मे प्रकाशन होगा। स्थानीय स्तर पर आप कई बार सम्मानित और पुरस्कृत होते रहे हैं। आप आजीविका की दृष्टि से बैंगलोर की निजी बड़ी कम्पनी में विपणन प्रबंधक (वरिष्ठ) के पद पर कार्यरत हैं। कर्नाटक राज्य के बैंगलोर निवासी श्री  अग्रवाल की रचनाएं प्रायः पत्र-पत्रिकाओं और काव्य पुस्तकों में  प्रकाशित होती रहती हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनचेतना है।  

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