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साहित्य सम्मेलन में संगोष्ठी संग पुस्तक विमोचित

गाजियाबाद (उप्र)।

सतत ३० वर्ष की परम्परा का निर्वाह करते हुए २८-२९ अक्टूबर को ३१ वा अ.भा. हिन्दी साहित्य सम्मेलन आयोजित किया गया। ‘नई शिक्षा नीति और मातृभाषा में शिक्षा’ विषय पर इसे संगोष्ठी सहित ‘गाजियाबाद महोत्सव’ के रूप में मनाया गया।

दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना के उपरांत संगोष्ठी में सुविख्यात शिक्षाविद व कवि प्रो. लल्लन प्रसाद की अध्यक्षता और वरिष्ठ चिंतक-लेखक राजीव पाल तथा समाजसेवी के.के. शर्मा की उपस्थिति में हिंदीसेवी डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन (चैन्नई), सम्पादक अशोक अश्रु ‘विद्यासागर’ (आगरा) व रामकिशोर मेहता ने विचार प्रस्तुत किए। विषय प्रवर्तन करते हुए संयोजक एवं सम्पादक उमाशंकर मिश्र ने कहा कि, भाषा, शिक्षा, संस्कृति और संस्कार मानव जीवन के लिए आधार स्तंभ है। समापन सत्र में पद्मश्री डॉ. श्यामसिंह ‘शशि’ (पूर्व महा., प्रकाशन विभाग, भारत सरकार), प्रमोद कुमार (अध्यक्ष, राजभाषा कार्यान्वयन समिति, नोएडा), वीरेंद्र कुमार यादव (अध्यक्ष अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद), डॉ. हरिसिंह पाल (दिल्ली) की विशिष्ट उपस्थिति में १० पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। तत्पश्चात विभिन्न प्रदेश से आए ४१ चयनित विद्वानों को नामित सम्मान दिए गए। इसमें विभिन्न शहरों से साहित्य मनीषियों सहित आगरा से वरिष्ठ पत्रकार आदर्श नन्दन गुप्त की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।