डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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बिल्कुल सोलह आने सच,
दुनिया दौलत की दिवानी
सोंची-परखी बात है ये,
ना सिर्फ ये मेरी जुबानी।
देख रहा है सारा जग,
पैसे की ही अहमियत है
रिश्ते-नाते सब गर्त में गए,
यहाँ खोटी सबकी नीयत है।
पैसे की खातिर लगती है,
किसी गरीब की बोली
उठते-उठते रह जाती है,
कहीं किसी बेटी की डोली।
भाई-भाई भी तन जाते हैं,
चलती बन्दूक की गोली
किसी हाल में कम ना हो,
खेल रहे वो खून की होली।
प्यार भी व्यापार बना अब,
यह खेल घिनौना होता है
जिधर जेब भारी पड़ती है,
प्यार वहीं अब होता है।
पैसे में है इतनी ताकत,
यह झूठ को बना दे सच
सच को यह झूठ बना दे,
है सोलह आने सच।
पैसे से यहाँ बनता हर काम,
सब हैं इसके आज गुलाम।
भाग रहे हैं दौलत के पीछे,
करते हैं सब इसे सलाम॥