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हँसी-ठिठोली कर लें आओ

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)

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दुनिया के कुछ लोग हमेशा,
रहते हैं मुरझाए।
हँसी-ठिठोली कर लें आओ,
हर कोई मुस्काए॥

बीवी जिसकी कद्दू जैसी,
वह ककड़ी का भ्राता।
चलना पड़ता साथ कभी तो,
पति केवल शरमाता॥

पति मोटा होने की खातिर,
खाता रोज दवाई।
बीवी दुबराने को मिलों,
नाप रही लंबाई॥

अक्सर मुझको दिख जाते हैं,
बिना मेल के जोड़े।
उनकी भी कुछ चर्चा कर लें,
क्यों अब उनको छोड़ें!!

उसकी बीवी गोरी-चिट्टी,
रहता है मतवाला।
हफ्ते में इक बार नहाए,
ऊपर से है काला॥

जिसकी बीवी छोटी है वह,
हील उसे दिलवाता।
जिसकी बीवी लंबी- चौड़ी,
पल्लू में छुप जाता॥

एक मनुज को देखा मैंने,
मोटा घोर निकम्मा।
बीवी जिसको डांटा करती,
रोती रहती अम्मा॥

बीवी झल्ला कर कहती है,
ख़तम हुआ है पैसा।
मैं जाती हूँ नोट कमाने,
घर देखो रे भैंसा॥

मैंने की बकवास यहाँ पर,
नहीं बजाना ताली।
मेरे कानों को खींचेगी,
घर जाते घरवाली॥

परिचय-वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। इनकी जन्म तारीख २० अप्रैल १९८० एवं जन्म स्थान ग्राम महेशपुर,कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)है। वर्तमान में भी कुशीनगर में ही हैं,और स्थाई पता यही है। स्नातक तक शिक्षित श्री कुशवाहा क़ा कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षक)है। आप सामाजिक गतिविधि में कवि सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक बुराईयों पर प्रहार करते हैं। आपकी लेखन विधा-काव्य सहित सभी विधाएं है। किताब-‘सब रोटी का खेल’ आ चुकी है। साथ ही विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आपको गीतिका श्री (सुलतानपुर),साहित्य रत्न(कुशीनगर) शिल्प शिरोमणी सम्मान(गाजीपुर)प्राप्त हुआ है। विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी से काव्यपाठ करना है। आकाश महेशपुरी की लेखनी का उद्देश्य-रुचि है।

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