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हरित वैभव की दरकार

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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यह कृषि काल की कहानी नहीं,
यह पर्यावरण संतुलन की राह है
सम्पन्नता और बेहतरी की,
सबसे बड़ी जरूरत, सही पड़ाव है।

हरित वैभव किसानों को मजबूती से,
आगे बढ़ने की सफ़ल राह दिखाता है
मुश्किल वक्त में साथ है देकर,
सुन्दर-सुखद अहसास दिलाती है।

हमें जलवायु परिवर्तन व ग्लोबल वार्मिंग के,
कुत्सित कहर से बचना होगा
कृषि विज्ञान और तकनीक को,
पहले-पहल हमें करना होगा।

यह आत्मनिर्भरता का सन्देश है,
हमें आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी बनाएगा।
सपने पूरे करने में मदद करते हुए,
भारत को समृद्ध कराएगा।

प्रकृति का आतंक है सिर पर हम सबके,
निजात पाना जरूरी है
पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में,
हरित वैभव की साख
आज़ हम-सबकी मजबूरी है।

यह समृद्धि और खुशहाली का,
सबसे उन्नत संस्कार बनेगा
अत्यधिक गर्मी और वर्षा के प्रहार से,
सबको यह सुरक्षित रखेगा।

हरित वैभव स्वावलंबन की धुरी बनकर,
सबमें उमंग और उत्साह बढ़ाता है।
देश को समग्र विकास की राह पर लाकर,
समृद्धि और सफलता के पथ पर
हरक्षण हरपल आगे बढ़ाता है॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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