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हाईटेक संवेदनाएं

डॉ.शैल चन्द्रा
धमतरी(छत्तीसगढ़)
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आज मुकेश के फेसबुक और उसके व्हाट्सएप के प्रोफ़ाइल फोटो पर वह अपनी माँ के साथ बैठा हुआ दिख रहा था।
यह देखकर मुकेश के एक सहकर्मी ने कहा,-“क्या बात है ? मुकेश को आज अपनी माँ बहुत याद आ रही है,वर्ना वह तो हमेशा अपनी पत्नी के साथ रोमांटिक अंदाज में ही फेसबुक पर अपनी फोटो डालता है। माँ तो बेचारी गांव में अकेली रहती है। पता नहीं मुकेश बाबू कभी मिलने जाते हैं भी या नहीं ?”
“इतने वर्षों के बाद पहली बार डीपी में मुकेश अपनी माता जी के साथ दिखा।” एक अन्य सहकर्मी ने भी व्यंग्य से कहा। तभी चपरासी ने एक आवेदन-पत्र कार्यालय प्रभारी को देते हुए कहा,-“सर,आज मुकेश बाबू की माताजी का देहांत हो गया है। यह उनका छुट्टी का आवेदन-पत्र है।”
यह सुनकर वर्मा जी ने कहा,-“तभी तो मुझे आज आश्चर्य हुआ,कि मुकेश की डी पी में आज माताजी कैसे आ गईं ? न तो आज ‘मदर डे’ है न तो ‘वृद्ध दिवस’।”
यह सुनकर कार्यालय प्रभारी ने पान की पीक थूकते हुए कहा,-“क्या है वर्मा बाबू,अब संवेदनाएं लोगों के मन में नहीं, मोबाईल के इस फेसबुक,व्हाट्सएप या इनके जैसे और कई एप में सिमट गई है। अब किसके पास इतना वक्त है कि किसी के अंतिम क्रिया-कर्म में शामिल हो। उनके घर जाकर संवेदना प्रकट करें। मोबाईल से हम लोगों को सुविधा हो गई है। घर बैठे श्रद्धान्जलि अर्पित कर दो और क्या ?” यह कहकर वे मुस्कुराने लगे।
तभी व्हाट्सएप ग्रुप पर कार्यालय के लोगों ने मुकेश को अपनी श्रद्धांजली भेज दी और सभी अपने काम में व्यस्त हो गए।

परिचय-डॉ.शैल चन्द्रा का जन्म १९६६ में ९ अक्टूम्बर को हुआ है। आपका निवास रावण भाठा नगरी(जिला-धमतरी, छतीसगढ़)में है। शिक्षा-एम.ए.,बी.एड., एम.फिल. एवं पी-एच.डी.(हिंदी) है।बड़ी उपलब्धि अब तक ५ किताबें प्रकाशित होना है। विभिन्न कहानी-काव्य संग्रह सहित राष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में डॉ.चंद्रा की लघुकथा,कहानी व कविता का निरंतर प्रकाशन हुआ है। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको लघु कथा संग्रह ‘विडम्बना’ तथा ‘घर और घोंसला’ के लिए कादम्बरी सम्मान मिला है तो राष्ट्रीय स्तर की लघुकथा प्रतियोगिता में सर्व प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया है।सम्प्रति से आप प्राचार्य (शासकीय शाला,जिला धमतरी) पद पर कार्यरत हैं।

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