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हिंदी अध्यापकों को व्यावहारिक पक्ष को भी पढ़ाना चाहिए

हैदराबाद( तेलंगाना)।

हिंदी के व्याकरण और उच्चारण पहलुओं के अतिरिक्त उसके प्रयोजनमूलक व रोजगारमूलक पहलुओं को भी पढ़ाना चाहिए। आज हिंदी के क्षेत्र में असीम संभावनाएँ हैं। भारत सरकार के उपक्रम रोजगार और केन्द्र सरकार के संस्थानों में हिंदी के असंख्य पद रिक्त हैं,विज्ञप्तियाँ निकल रही हैं। अतः,हिंदी अध्यापकों को व्यावहारिक पक्ष को भी पढ़ाना चाहिए।
मुख्य अतिथि डॉ. दामोदर खडसे(मंडल सदस्य, केन्द्रीय हिंदी शिक्षण मंडल,आगरा)ने केन्द्रीय हिंदी संस्थान(हैदराबाद केंद्र)पर अमरावती(महाराष्ट्र) जिले के हिंदी अध्यापकों के लिए आयोजित ४४५वें ऑनलाइन नवीकरण पाठ्यक्रम के उद्घाटन समारोह में यह बात कही। ज़ूम एप के माध्यम से हुए इस समारोह की अध्यक्षता प्रो. बीना शर्मा (निदेशक-केन्द्रीय हिंदी संस्थान,आगरा) ने की। पाठ्यक्रम संयोजक डॉ. गंगाधर वानोडे(क्षेत्रीय निदेशक-केन्द्रीय हिंदी संस्थान,हैदराबाद)ने अतिथि का स्वागत किया एवं परिचय दिया।
समारोह की अध्यक्ष प्रो. शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को सुझाव दिया कि वे अध्यापन की वृत्ति को स्वाभिमान की वृत्ति मानें और उसी तरह कार्य करने की प्रेरणा लें। अध्यापकों को चाहिए कि वे अपने कौशलों का विकास करें। ऐसा करने पर ही प्रशिक्षण का उद्देश्य सफल हो सकता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ने किया। डॉ. वानोडे ने धन्यवाद प्रस्तुत किया।

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