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हो भावों के वशीभूत तुम

संदीप धीमान 
चमोली (उत्तराखंड)
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शिवरात्रि विशेष….

न जाने कितने जन्मों तक
मरघट से तुम अडे रहे,
विरह सती का पाकर के
शिव शव से तुम पड़े रहे।

थे भावों के वशीभूत तुम
जन्म-जन्मांतर अड़े रहे,
पहन हार मुण्डों के शम्भू
बन औघड़ तुम खड़े रहे।

तेरी मुण्डों की माला में
शक्ति मुण्ड जड़े रहे,
पूर्ण १०८ मुण्ड कर
गौरा अमृत्व को अड़े रहे।

हो भावों के वशीभूत तुम
अर्धनारीश्वर बने रहे,
कामसूत्र अध्याय तेरे
प्रेम पार्वती पड़े रहे।

शिवशक्ति दो नाम नहीं
नाम एक ही बने रहे,
गौरीशंकर की प्रीत अनूठी
घट-घट श्वाँसों से बंधे रहे।

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