बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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जग में सबसे है बड़ा,देखो पैसा आज।
इसके बिन होता नहीं,बड़े-बड़े से काजll
पैसा है तो मान है,पैसा से ही यार।
पैसा से परिवार है,पैसा से संसारll
बिन पैसा भोजन नहीं,भूखे हैं बेहाल।
सज्जन माँगे भीख हैं,होते मालामालll
पैसा से यह जान है,पैसा से ईमान।
पैसा ही भगवान है,पैसा ही पहचानll
पैसा तो है बोलता,मूक दर्शक इंसान।
सब-कुछ पैसा है यहाँ,बेच रहा इंसानll