बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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नारी और जीवन (अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस)….
जाग उठो भारत की नारी,
अत्याचार मिटाने को।
झाँसी की रानी बन जाओ,
फिर तलवार उठाने को॥
करो सामना डरो नहीं तुम,
हिम्मत अब तो दिखलाओ।
दानव बन कर घूम रहे जो,
सबक उन्हें भी सिखलाओ॥
कूद पड़ो तुम रणचण्डी बन,
अपनी लाज बचाने को।
जाग उठो भारत की नारी…
मर्दानी बन लड़ना है अब,
सहना अत्याचार नहीं।
यूँ डर-डर कर जीना कैसे,
अस्मत पर अब वार नहीं॥
साहस हरदम रखना मन में,
दुष्टों से लड़ जाने को।
जाग उठो भारत की नारी…
आँख फोड़ दो उन दुष्टों की,
बुरी नजर दिखलाते हैं।
हाथ तोड़ कर रख देना तुम,
जो भी हाथ बढ़ाते हैं॥
अपनी रक्षा खुद ही करना,
नारी मान बढ़ाने को।
जाग उठो भारत की नारी…