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लोग क्या कहेंगे…?

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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न नहीं लोग क्या कहेंगे, भला लोग क्या कहेंगे,
ये रहते कहा, कौन है, बता लोग क्या कहेंगे।

सभी लोग किससे डरते, अपने से नहीं रहते,
चेहरे पे रख मुखौटा, कहे लोग क्या कहेंगे।

कठिन है बस सरल होना, टेढ़ा है तरल होना,
पत्थर बनते लोग सोंच, हमें लोग क्या कहेंगे।

इतनी-सी बात महज है, सहज होना असहज है,
बहुत भारी यह मरज है, हमें लोग क्या कहेंगे।

दिखाना है वह छिपाना, छिपाना उसे दिखाना,
बनावट में है जमाना, हमें लोग क्या कहेंगे।

बेमन ही हँसना गाना, मन कहे उसे दबाना,
बेबाक हो गए तो फिर, हमें लोग क्या कहेंगे।

हम सीखेंगे न बहाना, नहिं बातें ही बनाना,
कहने दो जो कहता है, हटा लोग क्या कहेंगे॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।