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कृषक हूँ

मनोरमा जोशी ‘मनु’ 
इंदौर(मध्यप्रदेश) 
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मुझको सभी ग्राम कहते हैं,
कहते कृषि का ज्ञानी
राग-द्वैष है नहीं किसी से,
मेरा मन सैलानी।
जन्मभूमि है खेत किसान की,
फसलें यहाँ लहराती
कच्चे घर माटी के सुन्दर,
छटा प्रकृति बिखराती।
खेत यहाँ खलिहान यहाँ,
नदी झील है झरना
वन वैभव की सुषमा देखूँ,
हँसकर नित्य विचरना।
ज्वार बाजरा गेहूँ मक्का,
चना मटर जो न्यारे
कोदों सवा धान की फसलें,
होते चावल न्यारे।
निशदिन मोर पपीहे कोयल,
मुझको गीत सुनाते
सोनचिड़ी तोता मैना,
निशदिन खेत में आते।
आती यहाँ बसंत बहारें,
आती है बरसातें
खेतों की हरियाली,
मुझको दे जाती सौगातें।
बडे़-बड़े दुःख भार उठाये,
मैंने अपने तन पे
हुआ न विचलित फिर भी,
भैया पूछो मेरे मन से।
हुआ देश आजाद मुक्त हूँ,
टूटे बंधन सारे॥

परिचय–श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर जिला स्थित विजय नगर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। एक काव्य संग्रह में आपकी रचना प्रकाशित हुई है।

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