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अजब-गजब माँ

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’
मुंबई(महाराष्ट्र)

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‘अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस’ १० मई विशेष……….

जग में तुम्हारा-मेरा रिश्ता
है कुछ अजब-गजब माँ,
मैं धरती,तो तुम अम्बर हो माँ।
मेरी हर बात पर बड़े करीने से,
तुम निगरानी रख लेती थी माँ।
जग में तुम्हारा मेरा रिश्ता…

चोट न लग पाए,उससे पहले ही,
हौले से अपने कोमल कर का
स्पर्श का कर देती थी तुम माँ,
तुम्हारा यही मर्म स्पर्श तो था
मेरा हौंसला,विश्वास,सम्मान,
धैर्य और कामयाबी का पायदान।
जग में तुम्हारा मेरा रिश्ता…

मम्मी,माँ,माता और अम्माँ,
न जाने क्या क्या तुझे पुकारा होगा
जब सीखा होगा मैंने तुतलाना,
उस तुतलाती जुबां से शायद
‘माँ’ ही मुखरित हुआ होगा,
उंगली पकड़ जब सीखा होगा
लड़खड़ाते कदमों से चलना,
गिर-गिरकर फिर से संभलने का
हौंसला भी तो दिया होगा तुमने।
जग में तुम्हारा मेरा रिश्ता…

गोद में जो तेरी भरी थी किलकारियाँ,
उनकी स्मृति में जरा भी कौंध नहीं
मगर पूरा विश्वास है मुझे तुझ पर माँ,
तेरी गोद ही,मेरा ब्रह्मांड रही होगी माँ।
जग में तुम्हारा मेरा रिश्ता…

न जाने कितने गुरुओं ने,
सिखाया होगा फ़लसफ़ा
मुझे जिंदगी का माँ,
मगर तुझ-सा गुरु न पाया
मैंने इस संसार में माँ…!
तुम्हीं से है मिली पहचान,
इस जग में मुझे मेरी माँ
ऋण तुम्हारा कभी,
न उतार पाऊँगी मैं माँ
हर बार पलूँ तुम्हारी कोख में,
यही छोटी-सी आस है मेरी माँ।
मैंने इस संसार में माँ…॥

परिचय–पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैl जन्म तिथि १२ अगस्त १९८० तथा जन्म स्थान दिल्ली हैl श्रीमती अलापुरिया का निवास नवी मुंबई के ऐरोली में हैl महाराष्ट्र राज्य के शहर मुंबई की वासी ‘हेमाक्ष’ ने हिंदी में स्नातकोत्तर सहित बी.एड.,एम.फिल (हिंदी) की शिक्षा प्राप्त की है,और पी.एच-डी. की शोधार्थी हैंI आपका कार्यक्षेत्र मुंबई स्थित निजी महाविद्यालय हैl रचना प्रकाशन के तहत आपके द्वारा आदिवासियों का आन्दोलन,किन्नर और संघर्षमयी जीवन….! तथा मानव जीवन पर गहराता ‘जल संकट’ आदि विषय पर लिखे गए लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैंl हिंदी मासिक पत्रिका के स्तम्भ की परिचर्चा में भी आप विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता कर चुकी हैंl आपकी प्रमुख कविताएं-`आज कुछ अजीब महसूस…!`,`दोस्ती की कोई सूरत नहीं होती…!`और `उड़ जाएगी चिड़िया`आदि को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला हैl यदि सम्म्मान देखें तो आपको निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार तथा महाराष्ट्र रामलीला उत्सव समिति द्वारा `श्रेष्ठ शिक्षिका` के लिए १६वा गोस्वामी संत तुलसीदासकृत रामचरित मानस पुरस्कार दिया गया हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा में लेखन कार्य करके अपने मनोभावों,विचारों एवं बदलते परिवेश का चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत करना हैl

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