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सुषमाँ-हमारी माँ

तृप्ति तोमर `तृष्णा`
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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‘अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस’ १० मई विशेष……….


ईश्वर का अलौकिक,दिव्य स्वरूप हैं सुषमाँ,
हो गर काँटों का जहां,तो सुषमाँ होती फूलों का समां।

सुषमाँ देती हैं हमें मुश्किलों से भरे रास्तों पर चलने की प्रेरणा,
कठिन जीवन के संघर्ष में बिखेरती प्यार की करूणा।

सुषमाँ है बेरूखी धूप में शीतल वृक्ष की छाया,
सुषमाँ है ममता स्नेह की स्वर्णिम प्रतिछाया।

हैं जिनके जीवन के अलग-अलग रूप में अलग- अलग मूरत,
कभी कहती हैं जुबां से अपने किस्से,तो अनकही प्रतिमा-सी सूरत।

जिनके आँचल में है आनंद,खुशी का आधार,
जिनके स्पर्श में है रंग-बिरंगे सपनों का उपहार।

सुषमाँ हैं विश्वास,शक्ति,समर्पण की सुनहरी जीवनी,
हर सुषमाँ है नारी समाज के लिए इतिहास की अमिट कहानी।

सुषमा हैं हमारे जीवन की संपूर्ण व्याख्या,
सुषमा हैं हमारे लिए प्रतीक जैसे माता कौशल्या।

सुषमाँ हैं हर दुःख-दर्द की दवा,जैसे बूटी संजीवनी,
सुषमाँ हैं महाबली पवन पुत्र की माता माँ अंजनी॥

परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। आपका  साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि २० जून १९८६ एवं जन्म स्थान-विदिशा(म.प्र.) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। एम.ए. और  पीजीडीसीए शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। आप अधिकतर गीत लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। 

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