पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’
बसखारो(झारखंड)
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हैदराबाद घटना-विशेष रचना…………..
कुचल डालो सर उसका,जिसने भी दुष्कर्म किया,
मसल डालो धड़ उसका,जिसने भी यह कर्म किया।
नहीं क्षमा ना दो संरक्षण,ना मज़हब का दो आरक्षण,
हर दुष्कर्मी को दो फाँसी,जो करते जिस्मों का भक्षण।
काट डालो उन पँजों को,जिसने अस्मत को तार किया,
मानव तन में छुपे भेड़िये,जिसने जीवन दुश्वार किया।
बालिग़ हो या नाबालिग,सबको दण्डित करना होगा,
जिसने भी ये पाप किया,उसको खण्डित करना होगा।
खोलो आँखों से अब पट्टी,कब तक मौन रहोगी देवी,
न्याय करो अब नजरों से,कब तक गौण रहोगी देवी।
इंसाफ की ऊंची कुर्सी भी,क्यूँ न देती अब न्याय यहाँ,
छूट जाता अपराधी हरदम,क्यूँ होता है अन्याय यहाँ।
‘बेटी पढ़ाओ,बेटी बढ़ाओ’ का महज नारा न होने देना,
चमक चाँदनी रातों में भी,तुम ध्रुव तारा न खोने देना।
हर बेटी का अभिमान बचे,हर बेटी का सम्मान बचे,
जननी भाग्य विधाता-सी,हर बेटी का अरमान बचे।
नहीं मिलेगा न्याय अगर,तो हर बेटी तलवार बनेगी,
बन चामुण्डा बन काली,दुष्कर्मी का संहार करेगी॥
परिचय- पंकज भूषण पाठक का साहित्यिक उपनाम ‘प्रियम’ है। इनकी जन्म तारीख १ मार्च १९७९ तथा जन्म स्थान-रांची है। वर्तमान में देवघर (झारखंड) में और स्थाई पता झारखंड स्थित बसखारो,गिरिडीह है। हिंदी,अंग्रेजी और खोरठा भाषा का ज्ञान रखते हैं। शिक्षा-स्नातकोत्तर(पत्रकारिता एवं जनसंचार)है। इनका कार्यक्षेत्र-पत्रकारिता और संचार सलाहकार (झारखंड सरकार) का है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से प्रत्यक्ष रूप से जुड़कर शिक्षा,स्वच्छता और स्वास्थ्य पर कार्य कर रहे हैं। लगभग सभी विधाओं में(गीत,गज़ल,कविता, कहानी, उपन्यास,नाटक लेख,लघुकथा, संस्मरण इत्यादि) लिखते हैं। प्रकाशन के अंतर्गत-प्रेमांजली(काव्य संग्रह), अंतर्नाद(काव्य संग्रह),लफ़्ज़ समंदर (काव्य व ग़ज़ल संग्रह)और मेरी रचना (साझा संग्रह) आ चुके हैं। देशभर के सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। आपको साहित्य सेवी सम्मान(२००३)एवं हिन्दी गौरव सम्मान (२०१८)सम्मान मिला है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय श्री पाठक की विशेष उपलब्धि-झारखंड में हिंदी साहित्य के उत्थान हेतु लगातार कार्य करना है। लेखनी का उद्देश्य-समाज को नई राह प्रदान करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-पिता भागवत पाठक हैं। विशेषज्ञता- सरल भाषा में किसी भी विषय पर तत्काल कविता सर्जन की है।