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शहीद-देश का गौरव

तृप्ति तोमर `तृष्णा`
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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देश पर जो खुद को न्योछावर करें वो हैं शहीद,
हो कोई देश में फ़ैली महामारी,या देश की सरहद।

शहीद सिर्फ़ एक नहीं है मामूली-सी जान,
कई लोगों की खुशियों,जिंदगियों का है दान।

खुद मर मिट कर हमें करते आबाद,
हमारी रक्षा के लिए पार करते सारी हद।

क्या समर्पण,जज्बा होता होगा इनमें देश के लिए,
जो मुश्किल चुनौती के लिए तैयार रहते हथेली पर जान लिए।

शहीदों का बलिदान है देश का स्वर्णिम अभिमान,
हर कर्म,पूजा से सर्वोपरी है शहीदों का सम्मान।

देश की खातिर बनाई अपनी अलग ही दुनिया,
अपनी ज़िंदगी के बदले बचाई असंख्य जिंदगियां।

आह्वान है मेरा ऐ देश के नागरिक,कहीं शहीदों की शहादत बेकार ना हो,
जब भी किसी माँ-बहिन की पलकें नम,तो गर्व से हो।

बस यही आख़िरी विनती,ना हो इतनी सस्ती इनकी जान की कीमत,
कि आए-दिन ये होते रहें हमारे लिए कुर्बान और ये हो जाए आम बात॥

परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। आपका  साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि २० जून १९८६ एवं जन्म स्थान-विदिशा(म.प्र.) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। एम.ए. और  पीजीडीसीए शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। आप अधिकतर गीत लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। 

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