विद्या होवाल
नवी मुंबई(महाराष्ट्र )
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हमारी दुनिया की अलग कहानी है,
औरों ने इसे न जानी है।
इसमें मेरी ही खूब चली,
हरपल उसकी बातों में ढली।
प्यार वाली हवा चली,
यादों के एहसासों में पली।
पास नहीं,दूर सही,
वास्तव नहीं,सपनों में वही।
वक्त की मजबूरियों में खड़ी,
जिम्मेदारी के बोझ में घिरी।
निरन्तर आँखों से जलधारा बही,
तन से नहीं,मन से ही जुड़ी॥