सत्कर्म ही मुक्ति का मर्म
राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** जल्दी जाने की आपा-धापी में,बेचारा मन बेचैन हो चला हैकहीं पीछे ना रह जाऊँ सबसे,यही भाव अब मन में खला है। सोचकर यही बचपन में खूब दौड़ा,पढ़-लिखकर शीघ्रता से आगे बढ़ातनिक मर्म को समझा तर्क को जोड़ा,मुड़कर ना देखा आगे ही आगे बढ़ा। छूटा बचपन आई जवानी नई कहानी,काम, काम, … Read more