अकादमी (मुंबई) द्वारा ‘मेघ मल्हार’ कार्यक्रम २० जून को

मुम्बई (महाराष्ट्र)। वर्षा ऋतु के आगमन के उपलक्ष्य में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी (मुंबई) द्वारा 'मेघ मल्हार' कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसमें प्रवेश निःशुल्क है और सभी…

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धर्म भूल रहा इंसान

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* जग में अपना धर्म ही, भूल रहा इंसान।करता आज अधर्म वह, त्याग रहा ईमान॥त्याग रहा ईमान, स्वार्थ में डूबा जाता।करता वह अन्याय, झूठ को ही अपनाता॥काम…

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‘भारत-नेपाल मैत्री सम्मान-२०२३’ हेतु आवेदन २० सितम्बर तक

बड़ी खाटू (राजस्थान)। जात-पात, धर्म-सम्प्रदाय के ऊँच-नीच, भेदभाव के दृष्टिकोण से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता, सद्भावना, बंधुत्व, भाईचारे की भावना से राष्ट्रहित और साहित्य हित में जिसने सर्वोपरि कार्य किया…

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हर दिन माँ के नाम

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* नहीं एक दिन मात्र बस, हर दिन माँ के नाम।माँ से ही जीवन मिला, माँ से सब अभिराम॥ माँ रोटी,माँ दूध है, माँ लोरी, माँ गोद।माँ…

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बिछोह

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** जीना जैसे पिता... हर किसी के जीवन में आता,और बोल कर नहीं आताचुपके दबे पाँव आता,इसकी खबरउम्र को भी पता नहीं चलती।डबडबाए नैना,मन अंदर से जब रोतालगता…

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बलवान

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** दर्प भरा दुर्जन में शांत खड़ा सज्जन है,'सज्जन' आया, कर के दुर्गुण का भंजन है। जो 'बलशाली' वह काले भय से दूर रहे,'बुद्धिबली' मानवता की मय में…

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इन उपन्यासों की भाषा-शैली सरल, विषय-वस्तु एकदम नई

भोपाल (मप्र)। इन दो उपन्यासों की भाषा शैली सरल, सहज और बोधगम्य है। लेखक ने उपन्यास लिखते हुए भाषा की महत्ता को ध्यान में रखते हुए ऐसे शब्दों को प्रयोग…

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संग गया नहीं धेला

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* हे हमारी प्यारी हरियाली वसुन्धरा, तुझे नमन,जीती हूँ देखकर मैं, तेरा हरियाली भरा चमन। हे धरा तेरी पावन माटी से, बनी है ये काया मेरी,अन्त क्षण…

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बंगाल में भाषाई ध्रुवीकरण:जातिय संघर्ष की दस्तक तो नहीं ?

प्रो. अमरनाथकलकत्ता (पश्चिम बंगाल )**************************** एक छोटी-सी चिंगारी को शोला बनते देर नहीं लगती, यदि समय रहते उसे बुझा न दिया जाए। ‘बांग्ला पक्खो’ जिस तरह ज़हर उगल रहा है,…

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करूण गुहार

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** स्वच्छ जमीन-स्वच्छ आसमान... प्रभु ने रची प्रकृति की सुंदर आकृति,स्वार्थी जन बिगाड़ते हैं उसकी कृति।तभी तो करूणा से पुकारती प्रकृति,कहे देखो! कैसी हुई है,…

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