ज़माना

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ******************************************* ज़माना तो,आज भी वही हैजो कल था,बदलाव तोमनुष्य की,मानसिकता मेंआया है।भावनाएं,सिमट गई हैंमर गई हैंसम्वेदनाएं,निजी स्वार्थले आया है,रिश्तों में अलगाव।छूट गया है,संस्कारों का हाथऊंची हो गई है,मज़हब…

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बेटियाँ आँखों का नूर

प्रो.नीलू गुप्ता 'विद्यालंकार',कैलिफ़ोर्निया(अमेरिका)**************************** बेटी को नहीं हम अब यूँ ठुकराते हैं,बेटी का होना अब नहीं दुर्भाग्य मानते हैंबेटी दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती बन आती है,बेटी घर में अमन चैन सुख शान्ति…

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हर परिस्थिति में हमको सँभाले

मंशिका चचरा, कटक(ओडिशा)*********************** शिक्षकों को समर्पित.... कच्ची बुद्धि को तराश कर,नन्हें हाथों को थाम करपहचान बनाने वाले लक्ष्य पर,पहुँचाने वाले शिक्षकों कोमेरा शत-शत नमन है।अच्छे-बुरे की पहचान करवाते हैं,प्यार से,कभी…

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समूची संस्कृति की आग का ही नाम है हिंदी

डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)************************* साहित्य और अनुसंधान के शिखर पुरुष, भारत के ३ विश्‍वविद्यालयों से डी.लिट. की सर्वोच्च उपाधि से सम्मानित कवि, साहित्यकार,समालोचक तथा महापण्डित राहुल सांकृत्यायन की प्रेरणा से…

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सपना

डॉ. शुचिता सेठ,दतिया (मध्यप्रदेश)******************************** काव्य संग्रह हम और तुम से चलो इस बार,फिर से कोईसपना सजाते हैं।तारों की सुंदर,चादर तलेख़्वाबों का मज़मा,लगाते हैं। कभी हम तुम्हें,कभी तुम हमेंनए प्यार के,गीत…

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हम और तुम

डॉ.स्मिता( श्वेता मिश्रा)गुड़गाँव(हरियाणा)********************************** काव्य संग्रह हम और तुम से.... हम और तुममिले हैं जबसे,कुछ खट्टेकुछ मीठे,अनुभव किए।तुम्हें ख़ुश रखने के,किए लाखों जतन,लेकिन तुम भी कमाल,की चीज़ होकहाँ से लाते हो,ऐसी…

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सत्कर्म से घटती है कर्मफल की तीव्रता

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ************************************ आत्मा कब और कहाँ किस कारण से किस उद्देश्य हेतु किस योनि में जन्म लेगी,यह निर्धारण कर्मफ़ल,ऋणानुबंध,श्राप,आशीर्वाद,मोह इत्यादि कई बिंदुओं पर निर्भर करता है।जो सशक्त आत्मा होती…

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माँ…तुमने दीप जलाया है

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** मेरे अँधियारे पथ पर माँ,तुमने दीप जलाया है।गुणी नहीं हूँ फिर भी माते,तुमने कंठ लगाया है॥ ठोकर पथ पर लगी,पकड़कर,तुमने सदा उठाया माँ।निद्रा भगा नयन से मेरे,मुझको…

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गुरू महिमा

डोमन निषादबेमेतरा(छत्तीसगढ़) ********************************* सच है,गुरु ज्ञान का दर्पण है।सच है,गुरु,शिष्य के लिए समर्पण है।सच है,गुरु मन का स्मरण है।सच है,गुरु प्रेम-भाव का वर्णन हैं।सच है,गुरु सत्य का निर्माण है।सच है,गुरु…

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आ चलें प्रेम के पनघट पे

डॉ. सुरिन्दर कौर नीलम(झारखंड) ************************** काव्य संग्रह हम और तुम से शहर की भीड़ में सूनापन,भावों का सूखा वृंदावन,आ चलें प्रेम के पनघट पे। मोबाइल को छोड़ो तब हो मिलने…

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