कुल पृष्ठ दर्शन : 230

You are currently viewing सत्कर्म से घटती है कर्मफल की तीव्रता

सत्कर्म से घटती है कर्मफल की तीव्रता

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

************************************

आत्मा कब और कहाँ किस कारण से किस उद्देश्य हेतु किस योनि में जन्म लेगी,यह निर्धारण कर्मफ़ल,ऋणानुबंध,श्राप,आशीर्वाद,मोह इत्यादि कई बिंदुओं पर निर्भर करता है।
जो सशक्त आत्मा होती है,या तो उन्हें पूर्वजन्म याद रहता है,या उन प्रबल आत्माओं को पूर्व जन्म याद रहता है जिनकी असामान्य रूप अकाल मृत्यु हो जाती है,व वह कुछ बताना चाहती थी। अन्य समस्त आत्माओं को पूर्वजन्म तब तक ही याद रहता है,जब तक वह बोलते नहीं। बोली आते ही वह पूर्वजन्म भूल जाते हैं।
वर्तमान में सिद्ध हो चुके अनेक पूर्वजन्म के घटनाक्रम के आधार पर यह सिद्ध हो चुका है कि आत्मा केवल एक बार मनुष्य जन्म नहीं लेती, अपितु कई बार मनुष्य जन्म लेती है,साथ ही कर्म फल के अनुसार विभिन्न अन्य योनियों में भी जन्म लेती है।
पुनर्जन्म की सत्य घटनाओं के देश-विदेश के समाचार यू ट्यूब पर प्रमाण के साथ मिल जाएंगे कि पूर्व जन्म का अमुक व्यक्ति दूसरी जगह जन्मा व उसे पिछला जन्म व रिश्ते याद हैं।
आइये जानते हैं कि कर्मफल का सिद्धांत क्या है ?
कर्म अर्थात कोई भी क्रिया,जिसमें हमारी विचारणा एवं भावना जुड़ी होती है। ऐसे कर्म का फ़ल हमें मिलता है।
उदाहरण स्वरूप अनजाने में हाथ लगकर गिलास गिरना या पानी की बोतल भूल जाना और उसको कोई प्यासा पी ले,या चलते हुए पैर के नीचे चींटी इत्यादि का मर जाना। ऐसे कर्म में हमारे विचार व भावनाएं नहीं लगी,अतः इसका कर्मफ़ल नहीं होगा।
गिलास को गुस्से में फेंक के मारना या किसी प्यासे को पानी देना या जानबूझकर चींटी को पकड़कर मारना,ऐसे कर्म में हमने विचारणा व भावना लगाई, अतः इसका कर्मफ़ल मिलेगा।
जिस प्रकार बैंक में ऋण व्यक्ति के नाम होता है, उसके वस्त्र बदलने या घर बदलने से बैंक को कोई फर्क नहीं पड़ता,उसी तरह कर्मफ़ल का खाता जीवात्मा के नाम होता है। शरीर या रूप बदलने से जीवात्मा का खाता नहीं बदलता। जन्म-जन्मांतर तक कर्मफ़ल भोगना पड़ता है।
कर्म ३ प्रकार के होते हैं-
‘संचित कर्मफ़ल’ तरकश में रखे बाण की तरह है, जो अभी चले नहीं। बैंक में जमा पैसा है,जो अभी उपयोग नहीं लिया गया। इसे विभिन्न साधनाओं द्वारा नष्ट किया जा सकता है।
‘क्रियमाण कर्मफ़ल’ धनुष में संधान को तैयार बाण है। बैंक के एटीएम में खड़े होकर निकाला जा रहा पैसा है,जो वर्तमान में उपयोग होने वाला है। घटना घट रही है। इस पर थोड़ा बहुत नियंत्रण करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
‘प्रारब्ध कर्मफ़ल’ तो छोड़ा जा चुका तीर,खर्च किया जा चुका पैसा है। घट चुकी है,अब उसको रोका नहीं जा सकता। अब उस प्रारब्ध को भोगना होगा या उसको सम्हालना होगा। जैसे दुर्घटना हो गई तो अस्पताल में इलाज़ करवाना होगा।
भोगकर या प्रायश्चित साधना द्वारा कर्मफ़ल को शीघ्रता से काटा जा सकता है।
उदाहरण स्वरूप हमने घर के लिए ऋण लिया, एक निश्चित मासिक किश्त जा रही है,लेकिन अब हमें दूसरा बड़ा घर खरीदना है या वर्तमान ऋण पूरा चुका के बन्द करना है। इसके लिए किश्त दोगुनी या तीन गुनी कर,जो पैसे २ साल में चुकने थे,वो २ महीने या कुछ महीनों में चुकाएंगे तो अर्थ व्यवस्था घर की बाधित तो होगी ही,लेकिन ढेर सारा ब्याज का पैसा बचा लेंगे और कुछ नई तैयारी कर लेंगे।
इसी तरह जो प्रारब्ध कई जन्मों में कटना था,वो प्रायश्चित साधना से शीघ्रता से कटता है। साधक संचित कर्मफ़ल नष्ट करता है,क्रियमाण कर्मफ़ल की तीव्रता को कम करता है।
इस तरह जन्म-जन्मांतरों के प्रारब्ध काटने में जो ऊर्जा खर्च होती है,इससे साधक को कुछ अप्रत्याशित कष्ट भी उठाने पड़ते हैं।
सत्कर्म करते रहने से किसी सिद्ध संत,महात्मा के आशीर्वाद से भी कर्मफल की तीव्रता को कम किया जा सकता है।

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

Leave a Reply