मानव की अभिलाषा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मानव की जिजीविषा अनंत पथ,केवल जीवन उड़ान न समझोनित अटल निडर निर्बाध लक्ष्य पथ,ख़ुशियाँ ज़न्नत निर्माणक समझो। उन्मुक्त इबादत आतुर लेखन,हर कीमत मन अभिलाषित…

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रूठी हँसी की खोज

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)************************************************** तेरासी टपे तो कुछ बूढ़े लोगों से संगति हुई। समय-समय पर गोष्ठी होने लगी। अच्छा लगा। इस तरह कई मास बीते। संगतियों को मेरी…

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तुम पर है एतबार

डॉ.सोना सिंह इंदौर(मध्यप्रदेश)************************************************** हर रोज़ की तरह खबरों की भरमार है, हर रोज़ की तरह मुसीबतों का अम्बार है। हर तरफ १९ से २० तक हाहाकार है, पर ऐ २०२१ तुम…

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हे! राम रमो फिर हर हिय में

आचार्य गोपाल जी 'आजाद अकेला बरबीघा वाले'शेखपुरा(बिहार)********************************************* हे! राम रमो फिर हर हिय में,समरसता का ज्ञान बढ़ाओ।चहुँओर है फैला भेद-भाव,तुम स्नेह सरिता शीघ्र बहाओ।रन रावण नित्य निर्माण करें,बिन तेरे कौन…

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मन के सपने

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)********************************************** पूरे होना मुश्किल मन के सपने,वायु वेग से बढ़ते मन के सपने। मन होता है मानो एक समुंदर,लाख वासना जिसके अंदर। एक पूर्ण हो…

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इस ख़बर पर उनका दर्द

कमलेश व्यास 'कमल' उज्जैन (मध्यप्रदेश)************************************************* जैसे किसी गन्ने को चरखी में से ४ बार गुजारने के बाद उसकी हालत होती है,या किसी भी पतरे की अलमारी को गोदरेज की अलमारी…

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इंद्रधनुषी रंग

राजेश पुरोहित झालावाड़(राजस्थान) **************************************************** अंतर के दर्पण में नव मीत बनाना बाकी है,नव सृजन कर छंदों का नवगीत सजाना बाकी है। दुनिया के मिथ्या झगड़ों से खुद को बचाना बाकी…

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मेरी कल्पना

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ******************************************************* नए साल में नई उमंगें,जैसे नया जमाना होगाबीत जाएगा साल पुरानागुज़रा हुआ फ़साना होगाl तड़प रहे थे इतने दिन से,डरते-डरते समय गुजाराकब जाएगा ये कोरोनाकब आएगा…

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तुमको आना था, तो आ गए

डॉ.एम.एल.गुप्ता ‘आदित्य’ मुम्बई (महाराष्ट्र) ************************************************* नव वर्ष!तुमको आना था,तो आ गए,इसमें क्या है हर्ष! पिछले वर्ष आए थे,तब क्या किया ?जो अब करोगे,क्या पाया हमने,पाकर तुम्हारा स्पर्श!तुमको आना था,तो आ गए!क्या…

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नए साल के पँख

प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ************************************************** बीत गया ये साल तो,देकर सुख-दुःख मीत,क्या पता ? क्या है बुना ? नई भोर ने गीतl माफ़ करे सब गलतियां,होकर मन के मीत,मिटे सभी की वेदना,जुड़े…

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