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नए साल के पँख

प्रियंका सौरभ
हिसार(हरियाणा)

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बीत गया ये साल तो,देकर सुख-दुःख मीत,
क्या पता ? क्या है बुना ? नई भोर ने गीतl

माफ़ करे सब गलतियां,होकर मन के मीत,
मिटे सभी की वेदना,जुड़े प्यार की रीत।

जो खोया वो सोचकर,होना नहीं उदास,
जब तक साँसें हैं मिली,रख खुशियों की आस।

खिली-खिली हो जिंदगी,महक उठे अरमान,
आशा है नव साल की,सुखद बने पहचान।

छँटे कुहासा मौन का,निखरे मन का रूप,
सब रिश्तों में खिल उठे,अपनेपन की धूप।

दर्द-दुखों का अंत हो,विपदाएं हो दूर,
कोई भी न हो कहीं,रोने को मजबूर।

छेड़ रही है प्यार की,मीठी-मीठी तान,
नए साल के पँख पर,खुशबू भरे उड़ानll

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