नहीं सृष्टि का मान

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************** नदिया घट-घट में फिरे।सागर तट तक जाय॥प्यास बुझाए जीव की।जो भी लेता जाय॥ व्याकुल सागर हो गया।लहरें रहा उछाल॥नदियां बेचारी सभी।सूख रहीं बेहाल॥ प्राणी सब बेहाल हैं।दूषित है जलवायु॥जीना दूभर हो गया।चैन बिना हर आयु॥ बचपन बूढ़ा हो गया।बूढ़े हैं बेजान॥जीवन की साँसें घटी।नहीं सृष्टि का मान॥ मिटते जाते … Read more

प्रतिमा

मधु मिश्रानुआपाड़ा(ओडिशा)********************************************* एक मूर्तिकार,माँ की प्रतिमा को गढ़ रहा था…असंख्य लोगों की आशाएँ…आकांक्षाएँ मूर्ति में समेट रहा था,आशान्वित है कि प्रतिमा बनेगी,एक जीवित स्वरूप…जो निहारे माँ का चेहरा,उसे लागे रूप अनूप॥सजीव छवि जब माँ की नज़र आए…तभी तो माँ के चरणों में भक्त,आशा का दीप जलाए…धीरे-धीरे माँ की प्रतिमा,अब हो गई थी तैयार…पर रत्ती भर … Read more

हर जन्म में स्वीकार है बेटी

डॉ.शैल चन्द्राधमतरी(छत्तीसगढ़)*************************************************** बेटियां होती हैं सुख-दुख का आधार,बेटियां होतीं हैं ज्यों बसन्त बहार।बेटियां होती हैं तो उल्लसित है आँगन-द्वार,करती हैं बेटियां हर सपने साकार। बेटियाँ सह लेती हैं दुःख हजार,बेटियां हैं माँ बहन प्रेयसी।हर रूप में बरसाती हैं प्रेम बार-बार,बेटियों को करो नमन,मानो इनका आभार। बेटियों को मान- सम्मान दें,करें इनका सत्कार।बेटियां होती हैं गंगा … Read more

बेटी,क्या श्राप!

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** सर उठा कर चल नहीं सकताबीच सभा के बोल नहीं सकता,घर-परिवार हो या गाँव-समाजहर नजर में घृणा का पात्र हूँ।क्योंकि, ‘बेटी’ का बाप हूँ… जिंदगी खुलकर जी नहीं सकताचैन की नींद कभी सो नहीं सकता,हर दिन-रात रहती है चिंताजैसे दुनिया में कोई श्राप हूँ।क्योंकि, ‘बेटी’ का बाप हूँ… दुनिया के ताने-कसीदे सहताफिर … Read more

नारी जीवन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************** शम्मा-सा जलता है पल-पल,और पिघलता नारी जीवन।देकर घर भर को उजियारा,आँखें मलता नारी जीवनll कर्म निभाती है वो तत्पर,हर मुश्किल से लड़ जाती,गहन निराशा का मौसम हो,तो भी आगे बढ़ जातीlपत्नी,माँ के रूप में सेवा,तो क्यों खलता नारी जीवन,देकर घर भर को उजियारा,आँखें मलता नारी जीवन…ll संस्कार सब उससे चलते,धर्म … Read more

वही पालकी देश की,जनता वही कहार…

आभासी अन्तरराष्ट्रीय काव्य-संध्या………… सिवानी(हरियाणा)l महिला काव्य-मंच द्वारा महात्मा गांधी और श्री लालबहादुर शास्त्री की स्मृति में आभासी अन्तरराष्ट्रीय काव्य-संध्या का आयोजन किया गयाl लगभग २० देशों के ३० से भी अधिक कवि-कवियित्रियों ने इसमें सहभागिता की। इस काव्य-संध्या में डॉ. रामनिवास ‘मानव’ ने अनेक हाइकु,द्विपदियां और दोहे सुनाकर समां बांध दिया।इस काव्य-संध्या में अन्तरराष्ट्रीय ख्याति … Read more

आराधना

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)*********************************************** शारदीय नवरात्रि का,अति पावन त्यौहार।आदि भवानी का करो, ‘शिव’ पूजन सत्कार॥ *शैलपुत्री-शैलसुता के रूप में,प्रथम शक्ति अवतार।वृषभवाहिनी ‘शिव’ तुम्हें,नमन करे शत बार॥ शैलसुता माँ का करो,निश्छल मन से ध्यान।माँ प्रसन्न होकर तुम्हें,देगी ‘शिव’ वरदान॥ *ब्रह्मचारिणी-ब्रह्मचारिणी शक्ति का,दूजा दिव्य स्वरूप।जग जननी दुख दूर कर, धर कर रूप अनूप॥ दाएं कर माला लिए,और … Read more

लगाओ गले

डॉ. रामबली मिश्र ‘हरिहरपुरी’ वाराणसी(उत्तरप्रदेश)****************************************** मिले लगाओ जो गले,चलते रहना वीर।जाना अपने लक्ष्य तक,रुक मत जाना धीर॥ मिलें राह में हमसफर,और चलें यदि संग।पहनाओ माला उन्हें,भरकर जोश-उमंग॥ साथ छोड़ना मत कभी,यदि वे चाहत साथ।साथ निभाने का नियम,रहे हाथ में हाथ॥ सजा चलेगा कारवां,सदा रहेगा साथ।रक्षा का संकल्प ले,बन जा दीनानाथ॥ रामचन्द्र की मंडली,को करना तैयार।साथी-संगी-मित्र … Read more

कोरोना-रिश्तों का अहसास

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ***************************************************************** इस कोरोना काल में,सभी हुए पाबंद।दुनिया भी रुक सी गई,चाल हो गई मंदll सन्नाटा पसरा हुआ,लोग हुए बेकार।कुछ न किसी को सूझता,क्या अब करें विचारll कोरोना से हो गया,रिश्तों का अहसास।सभी हो गए आम अब,रहा न कोई खासll अहंकार जो था कभी,अब है कोसों दूर।मानव भी अब हो गया,कुदरत से मजबूरll … Read more

बाँधे मन ही जीव को

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ (रचना शिल्प-अष्टावक्र गीता के श्लोकों का हिंदी अनुवाद) बंधन कारण यह सभी,काम,शोक,मितत्याग।कभी ग्रह्ण व प्रसन्नता,या मन क्रोधी आगll ठीक उलट है मुक्तिपथ,काम शोक नहीं त्याग।नहीं ग्रहण न प्रसन्नता,नहीं क्रोध की आगll बंधन मन आसक्ति है,मुक्ति कामनाहीन।बाँधे मन ही जीव को,वही मुक्त भी कीनll मैं-मेरा का भाव ही,जब तक,बाँधे जीव।नहीं त्याग नहिँ … Read more