बजा नारी जागृति साज

नताशा गिरी  ‘शिखा’ मुंबई(महाराष्ट्र)******************************************************** आँखों में सपना लिए,जज्बा लिए दिल में,जमीं क्या चीज है,फलक अब कर मुट्ठी में। हसरतें हैं हमारी,बुलंद रहा सदा हौंसला,रुढ़िवादी परम्पराओं का तोड़ना है यह घोंसला। अंधेरों…

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ऋणी सदैव हम माता-पिता के

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’ नागपुर(महाराष्ट्र) ******************************************************* माता-पिता,हमारी स्मृति सेसाथ न रहकर भी,दूर कब हुए।खारी-मीठी यादें,अभी जीवंत,हैं वे हमसे,अलग कब हुए॥ माता की सीख,संस्कार औरपिताजी का,संघर्ष और परिश्रम।ये शिक्षा,हमारे जीवन यात्रा,की…

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धुंए में धधकता संसार

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)************************************************************ नशे के धुंए में धधकता ये कैसा संसार है,चकाचौंध में देह लूटता ये फिल्मी व्यापार है। जब काम के बदले देह का गढ़ता है किस्सा,बन जाता है…

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हिन्दी में ‘दिनकर’-सा दैदीप्यमान कवि कहाँ

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)******************************************************** राष्ट्रकवि रामधारी सिंह जयंती-२३ सितम्बर विशेष.................. कवि कुलभूषण रामधारी सिंह 'दिनकर' को श्रोता-पाठक 'राष्ट्र कवि' कहते हैं। किसी देश के संविधान में राष्ट्रगान,राष्ट्रगीत, राष्ट्रीय…

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ससुराल हेल्प लाइन

नवेन्दु उन्मेषराँची (झारखंड) ***************************************************** इन दिनों खबर आ रही है कि देश के कई इलाके में लोग घर में बैठे-बैठे पत्नी से लड़ रहे हैं। इसलिए देश के गृहस्थी मंत्रालय…

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अष्टम अनुसूची के बहाने फिर हिंदी पर वार…

राजनीति:प्रतिक्रिया.... बुद्धिनाथ मिश्र(उत्तराखण्ड)- राजभाषा हिंदी का घर बांटने के लिए जो छोटे दिमाग के लोगों का कई सालों से प्रयास हो रहा है,उसका डटकर मुकाबला जो गिने-चुने लोग कर रहे…

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बंजारा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************** (रचना शिल्प:ध्रुवपंक्ति-नहीं ठहरता एक जगह पर,सचमुच मन बंजारा है।) चलते-चलते थक मत जाना,लक्ष्य ने आज पुकारा है।नहीं ठहरता एक जगह पर,सचमुच मन बंजारा हैll मंजिल तभी…

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ममता की छाँव

रोशनी दीक्षितबिलासपुर(छत्तीसगढ़)********************************************************** तूफानी लहरों में,वो बन जाती थी मेरी नाव,बहुत याद आती है आज भी, वो 'ममता की छाँव।'ज़िन्दगी नासूर बनकर,चुभने लगी है 'माँ'-आ जाओ लौटकर ना,भर दो मेरे घाव॥…

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जन्म एक कविता का….

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************************ किसी की आँख से टपका आँसू गीला अन्तःमन हुआ,करने लगे विलाप शब्द तब एक कविता का जन्म हुआ। सबके दुःख को मैं अपना लूँ क्यूँ…

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लालच

आरती जैनडूंगरपुर (राजस्थान)********************************************* कौन कहता है अब,लालच बुरी बला हैलालच भी कुछ पाने,की प्यारी कला है। आज की औलाद माँ-बाप,कि,इसलिए करती हैं सेवावसीयत रुपी उन्हें,मिलेगा प्यारा मेवा। लालच से मिलते,है…

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