गुलों के नगर में
अरशद रसूलबदायूं (उत्तरप्रदेश)**************************************************** जहां दूर तक कोई साहिल नहीं था,मैं दरिया-ए उल्फत में डूबा वहीं था। गुलों के नगर में जो गोशा नशीं था,बड़ा खूबसूरत वह बेहद हसीं था। यह इंसाफ दुनिया का अच्छा नहीं था,बहारें वही थी,जहां हमनशीं था खबर ही नहीं थी पता ही नहीं था,सितमगर हमारे ही घर में मकीं था। तसव्वुर … Read more