जड़ से इसे मिटा दें हम

अख्तर अली शाह `अनन्त`नीमच (मध्यप्रदेश) **************************************************************** राजनीति से ऊपर उठकर,जड़ से इसे मिटा दें हम।'कोरोना' के पैर तोड़ कर,के घुटनों पर ला दें हम। गली-गली में शहर-शहर में,कोरोना की दस्तक…

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कोरोना:मेरा अनुभव

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ********************************************************************** जब से 'कोरोना' आया है उसने हमें सिखाया है,मिल -जुलकर कैसे रहते हैं अच्छा पाठ पढ़ाया है। भूल चुके थे संस्कृति अपनी उसने याद दिलाया है,भारतीय…

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अपने कर्माें पर भी शोध करो

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** संजय कहता है,कि 'खुद' कोखुद के अंदर,ही तलाश करो।अपने कर्माें पर भी,कभी तो शोध करोतभी हमें जीवन का,सही मूल्यांकन मिलेगा।हम कितने सही और,कितने गलत हैंयहीं पर हमें…

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खुद को बचाते हुए बढ़ना होगा

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* जिस प्रकार जिव्हा दांतों में खुद को बचाते हुए अपना सम्पूर्ण कार्य कुशलता पूर्वक करती है। उसी प्रकार हमें अपने-आपको चारों दिशाओं से…

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‘साहित्य हंट’ का प्रवेशांक प्रकाशित

जयपुर (राजस्थान)। साहित्यिक समूह की मासिक ई-पत्रिका 'साहित्य हंट' का प्रवेशांक (जून २०२०)पत्रिका की वेबसाइट पर ११ जून को प्रकाशित हुआ। पत्रिका का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हिन्दी साहित्य की…

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दिल भी बहलता नहीं है क्यों ?

कृष्ण कुमार कश्यपगरियाबंद (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** बहलाने से ये दिल भी बहलता नहीं है क्यों।वो बेवफा नज़र से उतरता नहीं है क्यों। दिल में मेरे ये बैठ के ग़म देता है…

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कठिन डगर

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************************************** (रचना शिल्प:ताटंक छंद १६/१४) कठिन डगर है इस जीवन की,दु:ख में सुख को पाना है।पार तभी होगा भवसागर,हरदम हँसते जाना है॥ कभी अँधेरा कभी उजाला,धूप…

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रिश्ते-मर्यादा व खूबसूरती से निभाना सीखो

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)******************************************************************* 'मर्यादा' एक व्यक्तिगत और भावनात्मक सीमा है। यह मनोवैज्ञानिक ढाल के रूप में काम करती है। इस सीमा के पैमाने पर ही हम अच्छे और संतुलित…

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देश को बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी

डॉ. स्वयंभू शलभ रक्सौल (बिहार) ****************************************************** 'कोरोना' के आँकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं और जिंदगी जो ठहर-सी गई थी,धीमे-धीमे रफ्तार भी पकड़ने लगी है। कुछ कंटेनमेंट क्षेत्र को छोड़कर…

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तेरे नाम…

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)**************************************************************** कुछ गुस्ताखियाँ ऐसी हो रहीं हैं,मेरी तस्वीर तेरी आँखों में खो रही है।अब देख लो है तुम्हारी जो मर्ज़ी,मेरी साँसों की डोर तेरी एक नींद की अर्ज़ी।जब…

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